मुझे आज़ाद करो, खुद की यादों से गुनाहों से
मुझे आज़ाद करो, अपनी साँसो से और आँहो से मुझे आज़ाद करो, कुछ तो खुल के जी लू मैं ज़रा
मुझे आज़ाद करो, जुदा करो अपनी पनाहों से
मेरी हर बात तुझसे है, सारे जज़्बात तुझसे है
मेरी हस्ती, मेरा वजूद , मेरा अहसास तुझसे से है
जो तू नहीं तो मैं हूँ क्या, चला जाऊंगा राहो से
मुझे आज़ाद करो, जुदा करो अपनी पनाहों से
मैं तेरा कुछ भी नहीं हूँ, मुझे इतना कहा तुने
न कभी था, न बनूँगा, ज़ख्म ये भी सहा मैंने
जब यही हाल तेरा है तो क्यों दर्द मेरी आहों से
मुझे आज़ाद करो, जुदा करो अपनी पनाहों से