Monday, December 27, 2010

दुनिया है, सब जहान है पर अब वो बात नहीं है .....

रोता में अब भी हूँ पर आंसू पोछने को तेरा हाथ नहीं है 
दुनिया है, सब जहाँ है पर अब वो बात नहीं है 

क्यों में ही सोचता हु, रोता हु रात दिन 
प्यार दोनों ने किया था क्या अब वो जज्बात नहीं है 
दुनिया है, सब जहाँ है पर अब वो बात नहीं है 

तु खुश रहे, मसरूफ रहे अपने ही जहान में 
पर कभी मेरा हाल ले, क्या ये हालत नहीं है 
दुनिया है, सब जहान है पर अब वो बात नहीं है 

बारिश तुझे पसंद है, सोचा मिलेगी तब मुझे 
इस बरस तो अकाल है, बरसात नहीं है 
दुनिया है, सब जहान है पर अब वो बात नहीं है 

मेरी नज़र मैं प्यार......

प्यार अजब सा भाव है, मेरी नज़र मैं प्यार है :-

प्यार सताता है
प्यार मनाता है
प्यार हराता है
प्यार जिताता है
प्यार निराला रंग है
प्यार जीने का ढंग है

प्यार रहम है
प्यार वहम है
प्यार खुदा है
प्यार अदा है
प्यार विरह है
प्यार कहर है

प्यार में है जुदाई
प्यार में है लड़ाई
प्यार में कुछ रोना है
प्यार में कुछ खोना है
प्यार जन्नत का एक कोना है
प्यार तो खरा सोना है

प्यार खुद में ज़ख़्म है
प्यार ही इसका मरहम है
प्यार कुछ कुछ वहशत है
प्यार सिर्फ तेरी नेमत है
प्यार खुदा की खिदमत है

प्यार से हम सहमत है
प्यार हम पर रहमत है
प्यार अश्कों की धरा है
प्यार ही का हमको सहारा है
प्यार सच में कितना प्यारा है
प्यार दुश्मन हमारा है

प्यार दुआओं की बारिश है
प्यार ही दिल की ख्वाइश है
प्यार खुशियों का खज़ाना है
प्यार गम का ठिकाना है

प्यार जीने का उसूल है
प्यार कितना फ़िज़ूल है
प्यार मुझको है तुमसे
प्यार तुमको है मुझसे
झूट बोलो ना खुद से
काम लो कुछ सुध-बुध से

मान लो की तुम आज भी मुझे याद करते हो
मिले सदा के लिए हम, ये फ़रियाद करते हो
खुदा सुनेगा ज़रूर, क्यूँकी दिल में प्यार है
आएगी तु यकीन है, बस आने का इंतज़ार है

लहू और पानी .....

बड़ी पुरानी बात है, पर आज भी वही हालत है 
एक दिन वो था जब भाई भाई की जान था 
उसकी ख़ुशी पे अपने लहू का हर कतरा कुर्बान था 
पर आज कहाँ वो भाई है, आज कहाँ क़ुरबानी है 
लहू लहू था बस उन दिनों, आज लहू भी पानी है 

ऐसा नहीं की दादी नानी अब रात को कहानी नहीं सुनाती
ऐसा नहीं की माँ अब प्यार से रोती तोड़ के नहीं खिलाती 
जब सब वो है तो ये दुनिया क्यों अब लगती अनजानी है 
मेरी नहीं है, तेरी नहीं है, हर घर की यही कहानी है 

आज वो भाई भाई नहीं है, बस एक रिश्ते का नाम है 
शायद ये कलयुग है, इस रिश्ते का नया आयाम है 
शायद कल जो हमने बोया था उसका ये अंजाम है 
खाई इतनी गहरी हुई की, भरने की कोशिश भी नाकाम है 
किसको कहे और कैसे कहे हम, बात भी ये अब बेमानी है 
आज ये सोचु क्या है मेरा, ये मेरी नादानी है 

क्यों ये रिश्ते दिए खुदा ने, क्यों कर ऐसा दर्द दिया 
क्यों बस आज नाम सा ही है, रिश्तो को इतना सर्द किया 
दर्द अगर ये दिया खुदा ने, वो ही इसकी दवा देगा 
वही खुदा है और हम बन्दे, एक दिन ज़रूर दिखा देगा 
एक दिन होगा सूरज की किरणे फिर से यु शर्माएंगी 
उन से ज्यादा गर्मी और शक्ति फिर रिश्तो मैं छाएगी 
दिन अब बस वो दूर नहीं है, बात ये बस कुछ दिन की है 
चुक गए है दिन अमावस के, पूर्णिमा आने वाली है 
होगा वही जो वो चाहेगा, बात ये जानी पहचानी है 
आज लगे या नहीं पर ये लहू लहू है, ये अब तक नहीं पानी है 
ये अब तक नहीं पानी है …..



Wednesday, December 22, 2010

तेरी आँखें याद आती है.....

गाहे-बगाहे अक्सर अचानक तेरी बातें याद आती है
जब जब में देखू खुदको आईने में तेरी आँखें याद आती है
भीड़ में हूँ या हूँ तनहा अकेला, ढूँढ लेती थी मुझको तु सदा
अब अकेला महसूस करता हु, जब संग भीगे थे वो barsaate याद आती है
गाहे-बगाहे अक्सर अचानक तेरी बातें याद आती है
जब जब में देखू खुदको आईने में तेरी आँखें याद आती है

तु कहती रही चली जाएगी एक दिन, मैं कहता रहा कहाँ जाएगी मेरे बिन
अब तेरी कही हुई, बताई हुई सब बातें याद आती है
जब जब में देखू खुदको आईने में तेरी आँखें याद आती है

हम लड़ते रहे, फिर से मिलते रहे, संग संग ही रहे, जुदा जुदा भी रहे
यादें आज की सी है, तु हँसते-रोते, पीते-खाते याद आती है
गाहे-बगाहे अक्सर अचानक तेरी बातें याद आती है
जब जब में देखू खुदको आईने में तेरी आँखें याद आती है

कितना अज़ीम वक़्त था वो, कितना हसीन मुकाम था
थामे रखना बस हाथ तेरे, मोहब्बत का यही नाम था
देखता हु आज अपने हाथ तनहा, वो मुलाकाते याद आती है
गाहे-बगाहे अक्सर अचानक तेरी बातें याद आती है
जब जब में देखू खुदको आईने में तेरी आँखें याद आती है

Thursday, December 9, 2010

यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता....

यूँ  ही कोई बेवफ़ा नहीं होता, कुछ तो वजह रही होगी
या तुमने कुछ सोचा होगा, या मैंने ही कुछ बात कही होगी

मैं था, तुम थे कुछ सपने थे, जीवन में एक सहारा था
तुमको तो शायद और भी थे, मुझको बस साथ तुम्हारा था
शायद ये मेरी गलती थी, तुमने तकलीफ सही होगी
यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता, कुछ तो वजह रही होगी

मुझको तो याद नहीं आता, दिल मैंने तेरे तोडा हो
कितना कुछ हुआ हमारे संग पर मैंने साथ ये छोड़ा हो
मैंने माना हम रहे सुखी, क्या मन में तेरे ये बात नहीं होगी
यूँ  ही कोई बेवफ़ा नहीं होता, कुछ तो वजह रही होगी

मैं क्यों मानु की तुने किया, जबकि सब मेरा कसूर है
कल मेरी वजह से थी तू दुखी, आज उनकी वजह से मजबूर है
तु आज भी अपने दिल की सुन, दिल की ही बात सही होगी
यूँ  ही कोई बेवफ़ा नहीं होता, कुछ तो वजह रही होगी

तु खुश है अब कैसे मानु, जबकि आँखें तो नम सी है
वो दिन थे तू चुप ना रहती थी, अब बातें भी कुछ कम सी है
जिस जगह पे में हु, तुम हो अपनी तो ख़ुशी वही होगी
यूँ  ही कोई बेवफ़ा नहीं होता, कुछ तो वजह रही होगी

यूँ  ही कोई बेवफ़ा नहीं होता, कुछ तो वजह रही होगी.....

Saturday, December 4, 2010

Dimple, Mona are my stars

Dimple, Mona are my stars,
I wonder how bright they are

May God put them on such height,
They should glow world with there light

They are with me when I am alone,
They are ice-cream & I am cone

You often shown me you are around,
I am not alone you are my echo sound

I can travel now in dark,
Thanks to you for tiny sparks

I never knew how good are you,
If you do not twinkle so

I make fun of you but you never slip,
I say so much but you never creep

For you I will never shut my eyes,
“Till the sun is in the sky”

You are tiny & so sweet,
Life with you is like big treat

I may never say what you are
Dimple, Mona are my stars

पर बताता कैसे ......

इतना करता हूँ तुझे प्यार पर बताता कैसे
कहनी थी तुजसे वो एक बात पर सुनाता कैसे
इतना करता हूँ तुझे  प्यार, पर बताता कैसे

जब भी तुम आये, मिले मुझसे तो दिल नाच उठा
तेरे जाने का हुआ वक़्त तो गम छुपाता कैसे
इतना करता हूँ तुझे  प्यार, पर बताता कैसे

यु तो रखा नहीं कोई राज़ कभी भी हमने
पर नहीं हूँ  मैं तेरे बिन, ये राज़ बताता कैसे
इतना करता हूँ तुझे  प्यार, पर बताता कैसे

हुआ कई बार की खुदा ने भी तेरे बारे में पूछा मुझसे
पर मैं खुद को उसके सवालों में समाता कैसे
इतना करता हूँ तुझे  प्यार, पर बताता कैसे

कोई बंदिश तो नहीं है मेरे कुछ कहने पर
पर इस प्यार के दामन को उठाता कैसे
इतना करता हूँ तुझे  प्यार, पर बताता कैसे

मेरा ये प्यार जो भी है सिर्फ प्यार ही तो है
तूने समझा इसे ज़ंजीर, मैं समझाता कैसे
इतना करता हूँ तुझे  प्यार, पर बताता कैसे

मैंने अपना मान लिया....

कैसा अजीब सा रिश्ता है, कैसे तुम्हे पहचान लिया
तुम कहते कुछ मुझको उस से पहले तुम्हे अपना मान लिया

जितना सोचा, जितना चाहा तुमने ज्यादा उस से प्यार दिया
कभी भी कुछ भी कह ले सुन ले, ये मुझको अधिकार दिया

रोने तुम्हे दूंगा नहीं मैं, ये मैंने भी ठान लिया
बोलो तुम या कभी ना बोलो तुमको मैंने अपना मान लिया

मैंने अपना मान लिया.....

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Wednesday, December 1, 2010

आपका साथ

अब तक हमने साथ आपके कितना सारा वक़्त बिताया,
बयां भी नहीं कर सकता कि कितना कुछ आपसे है पाया,
छोटी छोटी बातें जानी, काम सलीके से करना सिखाया,
कैसे रहेंगे बिना आपके, कल जब ना आस पास होगा आपका साया !

नहीं किया सिर्फ काम आपने, आपने है परिवार बनाया,
घर मैं हूँ मैं, या दफ्तर मैं, फर्क कभी मैं समझ ना पाया,
काम भी काम नहीं है लगता,  जब आप सा कोई साथ हो,
आपके संग में समय यूँ बीता, जैसे कल की ही कोई बात हो !

जा रहे हैं आज आप, तो मन ये कुछ भारी हो आया,
कितना सीखा आपसे अब तक, कभी आपको बता भी ना पाया,
आपने  इतना स्नेह दिया की अब मैं खुद स्नेह का व्यापारी हूँ,
आपने रखा साथ सदा मुझे, आपका मैं दिल से आभारी हूँ !

कल के  सूरज से आपके जीवन मैं नयी लालीमा छाएगी,
आप रहेंगे व्यस्त इस सब में, पर हमको सदा आपकी याद सताएगी,
आप रहें हमेशा वट वृक्ष की तरह, पर अब तो धूप सताएगी,
आपके जाने से होगा इतना सूनापन की कभी जगह भर ना पायेगी !

पर ये सच है की हम आपको यूँ भूल ना पाएंगे,
जब जब आएगी याद आपकी, चाय पीने घर आपके आयेंगे,
आप ना सोचे की आपका पीछा हमसे यूँ छूट जायेगा ,
आपसे रिश्ता ऐसा है की हर पल आपकी याद दिलाएगा !

आप  करें जीवन में जो भी, उसमे आपका नाम हो,
बड़ते रहें जीवन में सदा आप, कभी ना कोई विराम हो,
सदा रहें जीवन में सादगी, कभी ना कोई भ्रांति हो,
जीवन में आपके सुख - समृधि हो, और सदा  ही शांति हो !

और सदा ही शांति हो ,,,, और सदा ही शांति हो..!!

अपने सपने....

कुछ रिश्ते तो बस सपने होते है 
और सब सपने कब अपने होते है 
मिल जाते है गर तो हँस देते है 
नहीं मिल पाते तो हम रोते है 
सपने तो बस सपने होते है 
और सब सपने कब अपने होते है 

कुछ सपने और रिश्ते तो मिल जाते है आसानी से 
कुछ रिश्ते और सपने तो मिल के भी कभी नहीं मिलते 
कुछ दिन सावन बादल से नहीं, बस आँखों से बहता है 
कुछ दिन ऐसे जब कुछ भी हो, किसी के दिल नहीं पिघलते

कुछ रिश्ते है खट्टे मीठे, कुछ मैं सिर्फ मिठास है 
हर रिश्ता हो एक दिन मीठा सबको ऐसी आस है 
पर मुझको तो ये खट्टा मीठा रिश्ता ही भाता है 
इस रिश्ते मैं कोई हो  कैसा सब कुछ घुल मिल जाता है 

हर रिश्ते का एक ही सच है, फिर रिश्ते अलग क्यों होते है 
आखिर मिलता है आखिर मैं, जो हम शरू मैं बोते है 
क्यों ऐसा है की हर रिश्ते मैं हम बस उसकी याद  मैं खोते है 
सपने तो बस सपने ही है और सपने कब अपने होते है