Saturday, January 21, 2012

क्यों आज बेवजह कोई हमसे नहीं मिलता ..............

क्यों  आज बेवजह कोई हमसे नहीं मिलता 
क्यों आज मेरे गुलदानो में सावन नहीं खिलता 
क्यों आज ये बारिश मेरी छत पर नहीं होती 
क्यों अब वो मेरे हाथों पर अपनी किस्मत नहीं बोती


कभी तो वो करे ऐसा ही मैं हैरान हो जाऊ
कभी तो वो फैला दे अपना आँचल और मैं सो जाऊ 
कभी तो वो अपनी हथेली से धुप मेरी रोके
कभी तो न जाये वो कभी, रह जाये मेरी होके 
क्यों अब फिजा यु सर्द है और कोई फूल नहीं खिलता 
क्यों आज बेवजह कोई हमसे नहीं मिलता 

शायद वो मेरा प्यार न था, मेरा ये वहम था

शायद वो मेरा प्यार न था, मेरा ये वहम था
शायद है तू खुदा और मुझ पर तेरा ये करम था

अब ये तो कुछ अजीब है की न सोया मैं रात भर
देखा न तुझसे बात की पर रोया मैं रात भर
दिन भर मैं तुझको भूला और तुजमे खोया मैं रात भर
माला जो टूटी आस की, उसको पिरोया मैं रात भर
पर टीस मेरे दिल की शायद मेरा ही ज़ख्म था
शायद वो मेरा प्यार न था, मेरा ये वहम था

कल तक मेरी आवाज़ तेरे दिन की अज़ान थी
रहती थी मेरे दिल अपने घर में मेहमान थी
मेरा वजूद तुझसे था, तू मेरी पहचान थी
कैसे था ये हुआ, खुद खुदाई हैरान थी
ये हो गया, होता गया, बस ये ही अहम् था
शायद वो मेरा प्यार न था, मेरा ये वहम था

जाने दिया तुझे लगा की लौट आएगी
अब तक जो रही मेरी अब क्यों तू जाएगी 
कहने दो कुछ उन्हें, न उनकी बातों में आएगी
दिल को थी दिल से आस की न मुझको भूलाएगी
गयी तू और दिल टूट गया, जैसे तू मरहम था
शायद वो मेरा प्यार न था, मेरा ये वहम था

गर प्यार होता ये क्यों न मुझको है करार
गर प्यार ही था ये तो क्यों न आई तू एक बार
गर प्यार ही था ये तो न कोई ख़त न एक ख्याल
ये प्यार नहीं था ये थी खुशफहमी बेमिसाल
तेरा नसीब खूब था, बस मेरा ही नरम था 
शायद वो मेरा प्यार न था, मेरा ये वहम था  
शायद वो मेरा प्यार न था, मेरा ये वहम था ........

कभी तो लौट कर आ, लौट कर न आने वाले

कभी तो लौट कर आ, लौट कर न आने वाले 
कभी तो लौट कर आ, मुझे हर बार मनाने वाले
कभी तो लौट कर आ, खुद हार के मुझे जिताने वाले 
कभी तो लौट कर आ, मेरी पलकों को भीगाने वाले


तेरे इंतज़ार में, बस तेरे आने के ऐतबार में हूँ 
तुझे पता भी नहीं की में तेरे इख्तियार में हूँ 
मुझे बना के अपना आदी, अब मुझको सताने वाले 
कभी तो लौट कर आ, लौट कर न आने वाले 


कहा नहीं कभी तुने की तू लौट आएगी  
मगर ऐसा भी कब कहा की नहीं आएगी 
जवाब होंटो से नहीं, नजरो से बताने वाले 
कभी तो लौट कर आ, लौट कर न आने वाले 


मैं कैसे मान लू तेरी की तू नहीं मेरी 
मैं कैसे मान लू की आ गयी हम में दूरी 
मैंने तो ये सुना नहीं, हर बात मुझे सुनाने वाले 
कभी तो लौट कर आ, लौट कर न आने वाले 


जो जा रहा था  अगर तू, मुझो तो बताया होता 
कोई कतरा कहीं गम का, कोई आंसू तो गिराया होता 
मेरी ख़ुशी के लिए, अपने आंसू छुपाने वाले 
कभी तो लौट कर आ, लौट कर न आने वाले 


मुझे यकीन नहीं अब तक, तू अब करीब नहीं 
लगा नहीं सूना कभी, कभी अजीब नहीं 
मेरे जिगर से आज भी अपनी बातें मुझे सुनाने वाले 
कभी तो लौट कर आ, लौट कर न आने वाले 


कभी तो लौट कर आ, लौट कर न आने वाले ..........