Monday, May 30, 2011

ज़िन्दगी हसीन है, तू मेरे करीब है
हाथ थाम चल पड़ा, चलना ही नसीब है

ज़िन्दगी की धुप में, साया तेरा अज़ीम है
सक्त है दुनिया सभी,तू बड़ा ज़हीन है
सब तरफ जो देखू में, सबसे तू करीब है
हाथ थाम चल पड़ा, चलना ही नसीब है

चलना ही है ज़िन्दगी, रुकना तो गुनाह है
तुझको फ़िक्र सबकी है, तेरी किसे परवाह है
हाथ पकड़ कोई रोकता है, हम भी खुशनसीब है
हाथ थाम चल पड़ा, चलना ही नसीब है

ज़िन्दगी की रेत ने जब, पांव ही जला दिए
आंधियां चली की मेरे सब निशा मिटा दिए
तू तब भी साथ था मेरा, तू खुदा मेरा रहीम है
हाथ थाम चल पड़ा, चलना ही नसीब है

बातें तेरी करेले सी, जिनमे भरी मिठास है
तुम चाहते हो भला मेरा, न खुदगर्जी की आस है
पर्दा हो मेरे गुनाह का, तू ज़िन्दगी का हकीम है
हाथ थाम चल पड़ा, चलना ही नसीब है 

Tuesday, May 24, 2011

Nothing is false, Nothing is true


Nothing is false, Nothing is true,
Life rotates around your point of view.

For few it is sea of sorrows,
For few it is as fresh as a dew.

Some likes to work all alone,
Some want to work with crew,

Nothing is false, Nothing is true,
Life rotates around our point of view.

Sometimes you feel very happy,
But at times you even feel blue.

You get bonded with a person,
Someone you never even knew.

Nothing is false, Nothing is true,
Life rotates around our point of view.

You ask life every day many questions,
It smiles and just leaves the clue.

You yourself get the answers of some,
But even wait for the solution of a few.

Nothing is false, Nothing is true,
Life rotates around our point of view.

No need for any hue and cry,
You would be relaxed and would say 'Phew'

Just relax and pray to almighty,
Even though you are not a Jew.

Nothing is false, Nothing is true,
Life rotates around our point of view.

It is just the destiny that drags us,
Accept happily whatever you are going through.

He always walks beside you,
As the bond is stronger than the glue.

Nothing is false, Nothing is true,
Life rotates around our point of view.

Be selective in your actions and words,
You decide your life by your own virtue.

No worries no regrets about the past,
As with each experience you only grew.

Nothing is false, Nothing is true,
Life rotates around our point of view

One is always alone to fight with life,
But it's always better if WE is ‘two’.

Enjoy life wherever you live,
Whether it is Rome or it is Bellevue.

Just be happy , just be nice,
Live happily with whatever offers THE LIFE.

Nothing is old, nothing is new,
Life is about the point of view.

Sunday, May 15, 2011

वो प्यार ही है बस तेरा....

वो प्यार ही है बस तेरा जो मेरे जीने की आस है
तलाश तेरी इस कदर जैसे जन्नत की प्यास है

तेरे पहलु में थे बिताये मैंने कितने दिन सनम
किया करार भी तुझसे की न रहू तेरे बिन सनम
मगर करार मेरा था तुने ना किया रहम
तू बिन कहे चली गयी बस इतना है गम सनम

तेरी कही हर बात मुझे अब भी याद है
फिर सुन सकू तुझे कभी बस ये मेरी मुराद है
कोई बात तो ना हुई थी तू क्यों नाराज़ हो गयी
बस हाथ छुड़ाया और उसके बाद भीड़ में खो गयी

तेरे बगेर जीना जैसे ढ़ोना जिंदा लाश है
वो प्यार ही है बस तेरा जो मेरे जीने की आस है
वो प्यार ही है बस तेरा जो मेरे जीने की आस है 

नीम और निबोरी......

नीम के एक पेड़ ने अपनी निबोरी से कहा
मैं तो था कड़वा ही पर तू तो मीठी होती ज़रा
छोटी निबोरी चुप रही क्या वो कहे कैसे कहे
आखिर वो है जिस पेड़ से उसका ही उसमे रस बहे

एक दिन वो डाली गिर गयी
छोटी निबोरी झड गयी
अब नीम तनहा रह गया
सब रस ताने से बह गया
वो निबोरी नीचे गिरी और धरा में जा गडी
आसमान रोया था उस दिन, पानी की बूंदे उस पर पड़ी
कुछ कोपले सी निकल आई 
पुराने नीम के नीचे हरियाली छायी
कुछ दिन मैं एक पेड़ हो गया
पुराना नीम उसमे कही खो गया

एक दिन निबोरी ने यूँही उस पेड़ से कुछ बात ही
कुछ गाँव की, कुछ खेत की, दुनिया की, कुछ हालत की
आखिर निबोरी ने कहा बाबा मैं तेरा अंश था
चाहें मैं कडवी ही सही पर मुझमे ही तेरा वश था
और क्या मैं कडवी खुद से थी क्या तेरा कोई हाथ नहीं
मैं बन सकू मीठी ज़रा क्यों किये ऐसे जज्बात नहीं
मैं कडवी हो कर भी तेरे हर हाल मैं संग ही रही
जब झड गयी मैं डाल से तब भी हवा में न बही
जब बन सकी एक पेड़ में तेरे ही साए में बनी
तेरी इस ढलती उम्र में तेरे सहारा मैं ही सही
मैंने तो ये बस यु किया की तेरा न ख़त्म वजूद हो
तू जब कभी अगर सूख जाये तेरा वंश तो मोजूद हो

में स्वाद में कडवी सही पर दिल में मेरे मिठास है
हूँ  मैं  निबोरी जब तेरी मुझमे तेरा भी वास है
जो मैं अगर मीठी होती तो तोड़ लेता जग मुझे
हो जाती मैं मजबूर और छोड़ जाती मैं अकेला तुझे

में खुश हु कडवी हो के भी आखिर तेरे मैं संग हु
तू भी कड़वा मैं भी कडवी बस तेरी ही तरंग हूँ
तेरी ही साए मैं मुझे धरती ने पेड़ बनाया है
में मीठी नहीं कोई बात नहीं कडवी रह के तुझे पाया है
कडवी रह के तुझे पाया है 


Monday, May 9, 2011

My Siblings !!!

Relation are complex, they clip your wings
You often feel are these my real siblings
Why blood defines family, outsiders brought in by rings
Why I am been always told who are my siblings

I got a family who are realer than real one
They were strangers till yesterday, today we share all the fun
Why world needs reasons for all, why we should go thru twisters
If the care and the love is not enough for being my sisters

Why siblings needs to be there & that too from place of native
Why can't we choose our own siblings, why they are born relatives
I got few when I was born & rest I found later
Today I have a bunch of siblings & I found them truly better

I am out of words & feelings, my heart keeps on singing
What I have & what I love are my truly siblings

Are my truly siblings

Sunday, May 1, 2011

आखिरी मुलाक़ात ........

कोशिश करता हूँ पर भूल नहीं पता वो आखिरी मुलाक़ात तुझसे
आँखें तेरी नाम थी और न की कोई बात मुझसे
मैं सोचता रहा कुछ तो है शायद तुम बताओगे
मैं जानता भी नहीं था की अब कभी नज़र न आओगे

तुमने शायद ये यु किया की मन में कोई फासला न हो
मुझे तो दर है बस इतना की ये कहीं आखिरी फैसला न हो
अपने बीच सदा पतझड़ और फिर बहार आती थी
कभी हम लड़ भी पड़ते थे मगर तू लौट आती थी

अगर जाना था चले जाते कम से कम मुझसे कहा होता
एक मौका तो दिया होता में तुझसे लिपट के रोता
मैं इंतजार बस करता रहा और बस तेरा पैगाम आया
ये फैसला तेरा था भी या नहीं, में फकत इतना भी नहीं देख पाया

अगर कह के चली जाती तो तब भी होने को यही होता
पर अगर प्यार था हमको कम से कम सामने कहा होता
मैं देखता तेरी आँखों में शायद थोडा तो मैं नज़र आता
जो तुने खुद मुझे कहा होता मैं दुनिया से भी बस चला जाता

शायद तुझे यकीं न था की मुझको तुझसे प्यार है
शायद लगा की कुछ भी अब कहना सुनना बेकार है
शायद लगा की आई बरसात और प्यार की लिखाई बह गयी
पर तेरा काँटा निकल गया मेरे मन में फाँस रह गयी

तुझको भी है पता की किया तुने कुछ सही नहीं
तब ही बस पैगाम दिया कही ये बात मुझे नहीं
अगर तुझे जाना ही था तो क्या मैं तुझको रोक पता
कहा तो होता मुझसे एक बार मैं खुद तुझे ही छोड़ जाता

अब तक समझ नहीं सका पीछे इसके क्या बात थी
तू बिन कहे चली गयी क्या बस इतनी मेरी औकात थी
तू चली गयी कोई बात नहीं बस ऐसे गयी यही बात थी
मैं जान के भी ना जान सका की अपनी वो आखिरी मुलाक़ात थी
.......