Sunday, September 25, 2011

वो कुछ कहे ना कहे, उसके जीने की वजह तू ही है.....

वो कुछ कहे ना कहे, उसके जीने की वजह तू ही है
उसने चाहे कभी ना बोला हो, पर उसकी आवाज की खनक तू ही है
उसने आज सुना ना हो चाहे, पर उसके कानो में गूंजता सिर्फ तू ही है 
वो कुछ कहे ना कहे, उसके जीने की वजह तू ही है

वो कुछ कहे ना कहे, उसके जीने की वजह तू ही है
नाम भुलाने की कोशिश करे कितनी भी, दिल के उस कोने में आज भी तू ही है
हँसते हँसते आँखों का नम हो जाना, भीड़ में चल कर भी अकेले खो जाना
शमा का इश्क परवाने को जला दे चाहे, उसके लिए अंजाम तन्हाई की वजह नहीं है
वो कुछ कहे ना कहे, उसके जीने की वजह तू ही है 

वो कुछ कहे ना कहे, उसके जीने की वजह तू ही है.........

मैं कुछ कहू या चुप रहू पर वजह तू ही है .....

मेरी तन्हाई से तनहा सा ज़रा तू भी है
मैं कुछ कहू या चुप रहू पर वजह तू ही है
फलक पे चाँद है तारे है रौशनी सी है
मेरी इस सुर्ख रौशनी से पनाह तू ही है


अकेले चलना, रुकना और फिर से चल देना
कभी कुछ सोच के पानी पे पैर रख देना
मेरे जहान में न सही वजूद में तू ही है
मैं कुछ कहू या चुप रहू पर वजह तू ही है

तेरी हसी की खनक और तेरे गुस्से का ये शोर
कभी मनाके रूठ जाना मगर मानना ज़रूर
मैं रूठा बैठा हूँ, सोचता हु तू मना लेगी
ये खुद से रूठना, रोना हँसना तू ही है
मैं कुछ कहू या चुप रहू पर वजह तू ही है

जो तो कल तक हर एक जगह तो आज क्यों नहीं है
क्यों लग रहा है अँधेरा, पनाह क्यों नहीं है
डरा सा सहमा सा बैठा हु इंतज़ार में मैं
मेरे इस डर का, खौफ का इलाज तू ही है

मैं कुछ कहू या चुप रहू पर वजह तू ही है ...................