Wednesday, September 29, 2010

माँ

आज ये सोचा की क्या माँ की परिभाषा है
क्या सच में ये इंसान है या एक भरम है या कोई आशा है

माँ वो है जो जन्म की ही नहीं करम की भी साथी है
माँ वो है जो हर पल मेरा साथ निभाती है
माँ वो है जिसे मेरी गलती हो कर भी  नज़र नहीं आती
माँ वो है जो किसी को भी मेरी शरारत नहीं बताती

माँ में तो बस शहद ही शहद  है प्यार है और मिठास है
माँ में पाया मैंने दोस्त जिस पर मुझे अटल विश्वास है
माँ वो है जो मेरी ख़ुशी में पागल और गम में मेरे उदास है
माँ वो है जो देती मुझे आखिरी हिस्सा पानी का, जबकि उसे भी प्यास है

माँ के पास दो दिल है क्यूंकि उसने दिमाग की जगह भी दिल पाया है
ये सच है तभी उसे आज तक  कोई मेरी कमी ना दिखा पाया है
माँ ने मेरी क्या नहीं सहा जब जब मैंने कुछ गलत किया
माँ ने मेरी क्या नहीं सुना जब जब मैंने गुस्से में  कहा
क्या जवाब नहीं दे सकती वो, फिर क्यों वो चुप रह जाती है
अक्सर उसकी भीगी आँखें सब राज़ ये मुझे बताती है

क्या सच में  ये बस प्यार है या में हूँ उनका कुछ ख़ास
दूर हो गयी गलत फहमी जब देखा सबके लिए प्यार भरा अहसास
शयद क्यूंकि सिर्फ दिल है तो बुरा सोच वो नहीं पाती
जब जब देखती मुझे परेशान वो चुपके से नीर बहाती

क्या में सच में दे सकता हूँ माँ की पूरी परिभाषा
क्युकी मुझे लगता है की मैं कहता हु उनकी ही भाषा
मैं बता भी नहीं सकता की कितनी वो मेरे लिए कितनी खास है
सच में इन्सान नहीं एक रिश्ता एक अहसास है

मैं हार गया पर माँ को शब्दों में नहीं बांध पाया
जब जब सोचा अब समझ गया माँ का एक और रूप नज़र आया
जब देखा उसने में रोया हूँ ,उसने आंसू मेरे साफ़ किये
जो भी गुनाह मैंने किये सब हँसके उसने माफ़ किये


माँ शायद मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा आधार है
उसके होते दुनिया साकार वरना तो बिलकुल बेकार है
जब में किसी को प्यार से माँ कहता हूँ तो ये सम्मान है
क्यूंकि जानता हूँ मैं की माँ होना नहीं आसन है....

Wednesday, September 1, 2010

कहने को बस एक शब्द है प्यार

कहने को बस एक शब्द है प्यार

कुछ समझते है, कुछ कहते है
कुछ प्यार में ही खुश रहते है
कुछ प्यार के लिए सब सहते है|

क्या सच में मज़बूत है ये जबकि ये पतली सी डोर है
कैसे ये नहीं बिखर जाती है जब ये इतनी कमज़ोर है
शायद इतनी मजबूती इसने हमारे विश्वास से ही पाई है
इतना झगडे, इतना लड़े हम पर इसमें गाँठ न  लग पायी है

सोचा था की ज़िन्दगी में सदा प्यार से दूर  रहूँगा
सोचा था की सबको दुखी देखा, मैं ये दुःख नहीं सहूंगा
पर पता नहीं था की प्यार का कोई आधार नहीं hota
सोच समझ के, जांच परख के प्यार नहीं होता

ये भी सोचा की इतना दुःख पा कर भी लोग प्यार में है
कही ऐसा तो नहीं की मजबूर है, या किसी मझधार में है
या सच जब भी प्यार करो, गम ही उसकी सजा है
जब खुदको हुआ तब ये जाना की गम में कुछ ख़ास मज़ा है

ये दुःख भी ऐसा है जो चेहरे पे ख़ुशी लाता है
जब जिधर देखो बस हर तरफ बस वो ही नज़र आता है
दिल में गम है होंठो पे हसी ये प्यार ही बस कर सकता है
इस रिश्ते का कुछ नाम नहीं पर यार तेरा रब लगता है

कहने को बस एक शब्द है ये पर अजब ही इसकी माया है
जग को लगता सब कुछ खोया, मुझे पता मैंने क्या पाया है
ये प्यार ही है जिसमे कुछ नफा नुक्सान नहीं
बस कह देना आसान है पर प्यार करना आसान नहीं

प्यार, समझ और दुनियादारी इनका ना कभी कोई मेल हुआ
जब जब बाँधा इनको संग में, रिश्तों का बस कुछ खेल हुआ
प्रेम भाव का मोल नहीं जो इसका तुम व्यापार करो
किस्मत से मिलता है मौका, जब मिले सिर्फ तुम प्यार करो

फिर कहता हु तू धयान से सुन
और मन को लगा कुछ ऐसी ही धुन
सब एक कहे, तू समझ हज़ार
कहने को बस एक शब्द है प्यार

कहने को बस एक शब्द है प्यार
कहने को बस एक शब्द है प्यार