Saturday, October 30, 2010

I knew it all

 I knew you love me even before u told me
All that was known to me just because of your eyes
You may try to hide it but eyes never tried

I can spend whole of my life looking in to your eyes
Just have love in it for me let it never dries

My value shown to me & I was feeling so pride
Human may bluff or may lie but eyes never lied

Whenever I thought I m alone, you were at my side
I am in such habit of you that I miss u & cried

I don't know they know it but eyes are more wise
I feel low & cry out but tears are in your eyes.

सोचा था

सोचा था एक दिन तुझे कहूँगा, तू मेरी जान है
मेरे लिए खुदा है तू, मेरी तू ही पहचान है

तुने मुझे सिखा दिया की ज़िन्दगी अज़ीम है
तेरे ही संग जिया इसे, बिना तेरे अजीब है

मेरी तो हर ही बात में तेरा असर ज़रूर है
अब याद आये तेरी हर पल, तो मेरा क्या कसूर है

तुने सदा मुझे कहा की तू मेरे हर कल का नूर है
तुझे तो ये याद नहीं, मुझे आज भी इस पर गुरूर है

है आज जो भी मेरा पास, उस सब को तेरा इंतजार है
मैं सिर्फ नहीं हु यहाँ, हर चीज़ को तुझसे प्यार है

फिर तेरी याद आ गयी, ये रात फिर गहरा गयी

फिर तेरी याद आ गयी, ये रात फिर गहरा गयी
कुछ दिन गुज़र गए युही, कुछ शामे फिर तनहा गयी
फिर तेरी याद आ गयी, ये रात फिर गहरा गयी

कुछ कम सी थी कसक मुझे, कुछ होश भी था आ गया
कब तू गया, कब दिल जला, कब आलम-इ-बेबसी छा गया
मुझको तो ये खबर नहीं, क्यों मेरा घर तबाह हुआ
पता नहीं ये कब हुआ, पता नहीं ये क्या हुआ

दिल को तो कुछ सुकून है, दिल को तो अब करार है
मेरा हुआ जो भी हुआ, घर तेरा बरक़रार है
बस एक गुज़ारिश है ये, मुझे देख कभी तो रुक जाना
आओगे तुम ज़रूर फिर, ना चाहो तो भी आ जाना

तुमसे जुडी है बात सब, कैसे कटेगी रात अब
चले गए हो तुम ये मैं हु जानता,
पर दिल का मैं अब क्या करू क्यों  ये दिल नहीं मानता
ये कहता है की तुम करीब हो, इसका तो तुम नसीब हो

तुम जा नहीं सकते अभी, शायद ना जा सको कभी
पर इसको कौन बताएगा, तू लौट फिर से आएगा
दिल दर्द मैं है अब तलक, पड़ेगा इसको समझाना
ज़रूरी है आने को वापिस, कम से कम एक बार जाना

तुम वैसे भी कहाँ गए, ना दूर मुझसे आज हो
सोचेगा दूरी वही, जो दुनिया का मोहताज हो
मैंने जब भी चाहा तभी, बड़ा के हाथ छु लिया
शायद नहीं तू करीब मेरे, पर रूह ने तो महसूस किया

मगर ये दिल सुनता नहीं, कहता रहा ये बस ये ही
फिर तेरी याद आ गयी, ये रात फिर गहरा गयी

झूठ कहा था तुमने मुझसे

झूठ कहा था तुमने मुझसे, मेरे बिना तुम खुश हो रहते 
क्यों हँसते हो इतना ज्यादा, क्यों अब ये आंसू ना बहते 

अगर में समझा तुम्हे कभी भी 
ख़ुशी में तुम रो देते थे 
इतना कडा था सब्र तुम्हारा 
हर गम पर हँस देते थे 

आज हँसी ये बड़ी अलग है 
इसमें ख़ुशी और प्यार नहीं 
कहते  है सब तुम तो खुश हो 
फिर मुझको क्यों ऐतबार नहीं 

मुझे पता है दिल में क्या है 
तुम कभी भी मुहं ना खोलोगे 
गम को सहोगे, कुछ ना कहोगे
तन्हाई में रो लोगे 

इतना सा बस सच है समझा, मैंने तेरे संग रहके 
अपनी ख़ुशी का मोल नहीं है, बाँटो ख़ुशी खुद गम सहके 

मुझसे तो कह दो ये सच तुम, क्यों मुझसे भी नहीं कहते 
झूठ कहा था तुमने मुझसे, मेरे बिना तुम खुश हो रहते 

तनहा रात थी, तनहा पल थे

तनहा रात थी, तनहा पल थे 
दुनिया बड़ी अधूरी थी 
तनहा मैं था, तनहा वो थी 
पर दिलो में ना कोई दुरी थी 

मैं था तनहा और था अकेला 
जीवन में जैसे रंग नहीं 
वो तनहा थी एक मेले में 
भीड़ में भी कोई संग नहीं 

दोनों तनहा है पर फिर भी साथ की आस ज़रूरी है 
जीने को जीवन है सारा, प्रेम की प्यास ज़रूरी है 
एक दिन ऐसे बादल गरजेंगे, ऐसा सावन आएगा 
प्यास बुझेगी भर जीवन की, मन मिलके मुस्काएगा

अब तो बस आकाश है तकना
कब बदली घिर आएगी
कब तक ये तन्हाई की पीड़ा 
हमको यु ही सताएगी 

अब तक तेरी याद ने इस तन्हाई को काटा है 
तेरे होने ना होने की खाई को इसने पाता है 
पर में इन पिछली यादों से यु कब तक जी पाउँगा 
सोचा था की साथ रहेंगे, हर दिन नयी याद बनाऊंगा

पर जब तक तुम आ नहीं जाते 
जीवन में रुसवाई है 
हम तुम दिल से संग सदा है 
पर फिर भी तन्हाई है 

तनहा रात थी, तनहा पल थे 
जीना भी मजबूरी है 
जाने कब तुम लौट आओगे 
तब तक जीना भी ज़रूरी है 

तनहा रात थी, तनहा पल थे 

Tuesday, October 26, 2010

झूठी हंसी

मुझसे रही वो दूर जो कुछ दिन
उसने झूठा हँसना सीख लिया
अब सबका बस दिल रखने को मर के जीना सीख लिया

मेरे संग वो जब हँसती थी
खनक वो रूह से आती थी
अब हँसती उनके संग वो
गले से हँसना सीख लिया

हँसते रहना दुनिया के संग
ये दस्तूर अनोखा है
सच में खुद से और दुनिया से आखिर तो ये धोका है

अक्सर खुल के हँसने वाले
छुप छुप के ही रोते है
आँखें सुर्ख होती है रो के
हस के गाल सुर्ख होते है

अगर खुदा है जो इस जहाँ में
तेरी खनक को वापिस लायेगा
एक दिन होगा फिर से उजाला
फिर से गम मुस्काएगा

एक दिन फिर से संग होंगे हम
फिर से हँसी ये गूंजेगी
आज जो गम है दिल में अपने
कल उसको दुनिया दूंदेगी

इतना सा बस तुम कर देना
दिल को अपने दुआ से भर लेना
जल्दी से वो दिन आएगा
हंसी निकलेगी रूह से फिर से
खुदा संग अपने मुस्काएगा

Saturday, October 23, 2010

ये रिश्ता अपना अटूट है

कल मैंने एक सपना देखा, सपने में हम दोनों ही थे, ना कोई अनजाना था 
तुम बोले की चला जाऊ में, सच में तो तुमको जाना था 

मैंने पूछा क्या तुम सच में रह पाओगे मेरे बिन 
क्यों करते ऐसा कुछ की हो रात अकेली और तनहा दिन 
क्यों करते हो ऐसा जिसको करके तुम भी रो दोगे 
क्यों लगता है, तुम ये कहोगे और मुझको तुम खो दोगे 

पर सोचा की ऐसा क्यों है क्यों तुमने जाने को कहा 
क्या कमी रही प्यार में मेरे, क्या प्यार आज प्यार ना रहा 

फिर से सोचा, तो याद आया की तुमने ये खुद नहीं कहा 
क्यों मानु में अब हम जुदा है या ये प्यार अब नहीं रहा 

तुमने तो खुद अपनी जुबा से कोई ताना नहीं बुना 
क्यों मानु में ऐसा कुछ भी जो मैंने खुद नहीं सुना

जब तक तुम मेरी आँखों में देख के ये नहीं बोलोगे 
तब तक रहेगा रिश्ता यु ही, ये गांठ भी तुम ना खोलोगे

इतने में ये सपना टुटा, देखा तो तुम पास नहीं 
फिर याद आया पास नहीं पर साथ तो तुम मेरे ही रही 
अपना रिश्ता सबसे अलग है,प्यार भी है तकरार भी है 
तुमको मुझपे, मुझे खुदा पे आने का तेरे ऐतबार भी है 

कल का सपना सिर्फ सपना था, उसमे सब कुछ ही झूठ है 
तुम जाओ या में जाऊ ये रिश्ता अपना अटूट है 
ये रिश्ता अपना अटूट है 

क्यों मानु में बात ये तेरी...

आज भी तुमने मुझको कहा जब अब तुम मेरे साथ नहीं 
क्यों नहीं माना दिल ने इसको, क्यों दिल को विश्वास नहीं 

आज भी तुमने मुझको ये बातें मेरे मुँह पर नहीं कही 
क्यों मानु मैं सच इन सबको, जब ये सब है सच ही नहीं 

अगर ये सच है तो तुमने से ये दुःख आज तक क्यों सहा 
आँखों में बस झाँक के मेरी क्यों ये सच खुद नहीं कहा 

जब तक तुम खुद सामने आकर खुद से ये ना बोलोगे 
जब तक आँखें करेंगी पीछा, कैसे तुम भी सो लोगे 

अगर ये किस्सा खत्म है करना, तो होगा ये खेल खत्म यही 
एक बार दिखला दो मुझको की अब आँखों में प्यार नहीं 

क्यों मानु में बात ये तेरी 
जब जानु में तू है मेरी 

क्यों मानु में बात ये तेरी....

Friday, October 22, 2010

Kid inside

Just like all of us, I also had a kid inside
He used to pull me down, when I used to fly with pride

He kept be naughty, he kept me nice
When I am a kid, I m not supposed to be wise

I was happy with kid in me till people found him out
I was in the pool of love & people's eyes had drought

They made sure that the kid should die
Didn't listened to me inspite of my hue & cry

The choice was simple, kill the kid if you want to exist
How they can even be humans, why people call them priest

Hope it gets back to them, what they sow & reap
But for the time being, let the kid go to sleep

I feel him still with me but with a blank lap
Looks like he is hibernated, although I sent him for nap

But why people behave like it, why are they are all fakes
Let them live happily with me till my kid awakes

Till my kid awakes

अपना ख्याल रखना

अपना ख्याल रखना, तुम मेरी अमानत हो 
कुछ भी ऐसा ना करना, जिस से तुमको ज़हमत हो 

तुम फूल ना सही, पर फूल सी नाज़ुक ज़रूर हो 
कभी ना हो ऐसा की तुम मन मारने को मजबूर हो 

तुम में हवा की ताजगी है, इसको बनाये रखना 
झड़ते है गुल तेरी हँसी में, इनको सजाये रखना 

तुम वो हो जिसे देख सारा गम ख़ुशी हो जाता है 
तुमने पाया है वो दिल जो सबकी तकलीफ अपनाता है 

तुमने ही सिखाया जीना, तुम ये मेरी कहानी है 
तुमसे जुडी है सारी बातें, एक दिन तुम्हे ही सुनानी है 

तुम रहो सलामत, खुश रहो सदा ये मेरी दुआ है 
अब काली रात बस हुई, अब तो नयी सुबह है 

अब रोज़ ज़िन्दगी के बाग़ में बहार होगी
मिलेगी ख़ुशी इतनी की गम को भुला ही डौगी 

तुम पे रहे रहमत सदा, ना गम की धुप छाए
मसरूफ रहो ज़िन्दगी में, ना कभी मेरी याद आये 

तेरे जाने की खबर आई, पर में रो नहीं रहा

तेरे जाने की खबर आई, पर में रो नहीं रहा 
न जाने क्यों ये लगता है की तुझे खो नहीं रहा 

तेरा मेरा ये जो ढाई आखर का नाता है
ये ढाई कभी दोस्ती, कभी  प्रेम, और कभी प्यार कहलाता है 
है ढाई आखर में सारा खेल, इसमें ये दुनिया समाई है 

आत्मा में ढाई, हृदय में ढाई, प्रभु में भी तो ढाई है 
ये ढाई अक्षर की महिमा में ही दुनिया ये भरमाई है  

है इन्द्रिओं में सारी जो महसूस तुझे करती वो सब भी तो ढाई है 
दृष्टी, त्वचा, स्पर्श, जिव्या, गंध और कर्ण जिनमे तू समाई है 

रिश्ते में एक और एक बस ये ही हमारा योगदान है 
बनाया जिसने इसे दो से ढाई वो सिर्फ भगवान है

जब उसने खुद चुना की इस रिश्ते को ढाई होना है 
मुझे फ़िक्र क्या जब हमने सिर्फ काटना है क्यूँकी उसने बोना है 

मुझे यकीन है उस पर इसलिए में खुश रहूँगा 
जा रहे हो तुम आज, में लौटने का इंतजार करूँगा 

इसी लिए में तेरे जाने पर रो नहीं रहा 
मुझे यकीन है तुम आओगे, मैं तुम्हे खो नहीं रहा....

Wednesday, October 13, 2010

अपना रिश्ता कितना अलग है

अपना रिश्ता कितना अलग है 
कितना जुदा है बाकी सब से 
अक्सर रिश्तो के नाम है होते 
इसमें तुम्हारा नाम है रिश्ता 

जब जो चाहा इसको पुकारा 
जैसे चाहे बना लिया
कभी दोस्ती, कभी आत्मा 
कभी लड़ाई का नाम दिया

सबसे अलग सी बात है इसमें, कोई बंदिश इसमें नहीं है
जहाँ गलत था सही किया और जहाँ सही है, वहां सही है 
इस रिश्ते में दूरी बहुत थी पर कोई गाँठ कभी नहीं थी 
इनता लड़के भी फिर से मिले हम, ज़रूर कोई तो बात रही थी 

जिसने जो भी माँगा उसने वो भी पाया इसमें 
एक माँ थी और एक बेटा, भाई भाई बनाया इसने 
जितना हो सका दोनों ने दिया, सोचा नहीं की क्यों देना है 
आखिर कुछ तो बात है इसमें, इसका दुःख भी हँस के सहना है 

आज तो तुमने कुछ ऐसा मागा जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी 
सोचा था की होता हु में सही पर इस बार तो सच में तुम ही सही थी 
तुमने जो अगर जान मांगी होती तो भी ये बात समझ लेता 
तुमने जब कहा की जाना है, कैसे में हाथ पकड़ लेता 

शायद इस रिश्ते का नाम ना होना ही इसकी कमजोरी है 
पर क्या प्यार ही बहुत नहीं, क्यों बीच में आग ज़रोरी है 

तुम जा रहे हो आज तो में सिर्फ दुआ ही करता हु 
खुश रहो सदा, ना गम हो कभी बस ये ही दम भरता हु 
ये आँखें नम पर लब पे हँसी है क्यूँकी आपको को आंसू पसंद नहीं 
आप जाओ और खुश रहो सदा, ये है शायद अब होगा सही 

ऐसा नहीं की याद नहीं आएगी, या तू कभी भी दुखी रहेगी
होंटो पे रहेगी तेरे हँसी सदा और दिल में मेरे  हमेशा दुआ रहेगी

Tuesday, October 12, 2010

कल जिसने कहा था अलविदा

जो जो सोचा सब वही हुआ, ये सच है या कोई सपना है 
कल जिसने कहा था अलविदा, क्या अब तक भी वो अपना है 

जब पूछा खुदा ना क्या दे दू, हमने साथ कहा की प्यार बना रहे 
जब तक रहे तब तक साथ रहे जीवन में ये रस भरा रहे 

जब आज ये रस है, प्यार भी है तो फिर तुमको क्यों जाना है 
क्या सच मैं तुमको फिकर नहीं या मुझसे तुम्हे कुछ छुपाना है

अब तक तो हम साथ रहे पर क्या अब आगे जुदाई है 
क्यों आँखें सुखी है तेरी जब मेरी आँख भर आई है 

क्या सच में वो कोई सपना था जो आज अचानक टूट गया 
ये रिश्ता कभी का खत्म हुआ, ये हाथ भी आज छूट गया 

तुम कहते थे की मुझे भुला दोगे जब भी तुम चाहोगे
क्यों अब भी में विश्वास करू की एक दिन तुम लौट आओगे 

लगता है ये कोई सपना है, अब कोई मुझे उठा भी दो 
तुम पास नहीं पर साथ तो है ये फिर से मुझे बता तो दो 

तुम जानते हो की बिना तुम्हारे मेरा कोई वजूद नहीं 
अगर तुम हो तो में हु वरना में भी मौजूद नहीं 

फिर क्यों तुमने ये खेल किया, क्यों की कोशिश यु जाने की 
नाराज़ अगर जो से मुझसे, कोई नहीं दी मोहलत मनाने की 

क्यों किया ये तुमने जिसे देख में सोचने पर मजबूर हुआ 
क्या जिस्म की दुरी बहुत नहीं जो अब दिल में भी दूरी है 

जब कभी मिलूँगा में तुमसे, क्या सच में  ही मिल पाउँगा 
क्या याद आएगा प्यार तुम्हे, या दुश्मन सा नज़र आऊंगा 

मुझको अब भी विश्वास नहीं, मेरे लिए ये अब भी सपना है 
कल जिसने कहा था अलविदा, क्यों अब तक भी वो अपना है 

आँखों को बस इंतज़ार है

अक्सर मेरे सवाल का जवाब जानता हु मैं
पर फिर भी क्यों ना जाने उनसे पूछता हु मैं

क्या मालूम नहीं मुझको की कितना प्यार मुझसे है 
क्यों फिर से उनसे सुनाने को बेताब रहता हु मैं 

क्यों जब कहे वो तब ही ये बात नयी सी लगती है 
नहीं हो वो करीब तो भी उनकी कमी ना खलती है 

क्यों नहीं मैं भूल पता उसका वो खुमार
क्यों नहीं मान लेता की वो था भरम नहीं था प्यार 

क्यों ये उसका नाम अपने से जोड़ने की प्यास  है 
क्यों ये नाम साथ में लेना ही मिठास है 

क्यों ये लगता की नाम में मेरे है कुछ कमी 
क्यों ये लगता है तू दूर जाके भी मेरी ही रही

क्यों मेरा अधिकार आज भी तुझ पर है बरक़रार 
क्यों नज़र आता है तेरी आँखों में अब भी प्यार 

क्यों नहीं भूल गया वो वक़्त वो तारीख
क्यों तू दूर है नहीं, है आज भी करीब 

क्यों जो तुने कहा वो आज भी सच होता है 
क्यों नहीं ये दिल तेरे बारे में सोच रोता है 

क्यों नहीं में मान पाया तू मेरी नहीं रही 
क्यों भला ये बात अब तक मुझसे नहीं कही 

क्यों ये आज भी मुझको तेरा इंतज़ार है 
क्यों मुझे भी आज तक तुझसे ही इतना प्यार है 

इतने क्यों सुन कर तो अब तो दिल भी मेरा रो दिया 
रोते रोते मुझसे बोला की क्या लगता है उसको खो दिया 

इतने है सवाल क्यूँकी प्यार अब भी है बरक़रार 
क्या वो कभी रोई नहीं करके तेरा यु इंतजार 

आज तेरा वक़्त है, तू इंतज़ार करता रहे 
पर ये याद रखना की लब पे सदा दुआ रहे 

जब खुदा की नज़र में तेरी दुआ चढ़ जाएगी 
रोक ना पायेगा उसे कोई, वो लौट आएगी

अब सवाल कोई ना था, बस दिल ही कुछ बेक़रार है 
दुआ तो सदा चल रही, आँखों को बस इंतज़ार है 

आँखों को बस इंतज़ार है 

Sunday, October 10, 2010

कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो (My all time Favorite)

कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
तुम गीत हो संगीत हो, जीवन के तुम ही मीत हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
तुम ज्ञान हो वरदान हो, जीवन का तुम अभिमान हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो

तुमसे जुड़ा तुमसे बंधा जीवन का हर पर्याय है
तुम से शुरू तुम पर खत्म जीवन का हर अध्याये है
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो

तुम कंठ हो, तुम वाणी हो, तुम आदि हो तुम अंत हो
जीवन सदा रहा सूना, जीवन में तुम बसंत हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो

तुम मंदिर का शंख हो, तुम मस्जिद की अजान हो
तुम हो पारी जीवन में मेरे, भगवान का अहसान हो
तुम से जुड़ा हर सपना मेरा, तुम मेरी सुख की सांस हो
मैं सोचता रहा सदा की तुम ही प्रेम पे मेरा विश्वास हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो

सब है भरम जीवन में बस एक तुम ही अखंड हो
मै हु बस एक हिम शिखर, तुम ही मेरा हिम खंड हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो

तुमसे जुडी तुमसे लगी जीवन की हर एक आस है
तुम ना मिलो जब तक तब तक जीवन में प्यास है
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो

तुम राग हो आलाप हो, मृदुंग की तुम थाप हो
मैं सोचता था की मुझे में मैं हु पर मुझे मैं तो बस आप हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो

जब जब कहा तुमने मुझे की तुमको कितना प्रेम है
मैंने सुना चुप चाप पर आज तू क्यों मौन है
क्या सच में है ऐसा हुआ की तू समझ गया है आज
क्युकी में कभी ना कह सका मेरे लिए तुम कौन हो

शायद ये ऐसी बात है जिसमे ना कोई विकार है
शायद से सिर्फ विचार है जिसका ना कोई आकर है
शायद ये सिर्फ एक भाव है जिसने मुझे बाँध रखा है
शायद ये है कोई बंधन जो आज फिर तुम मौन हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो

कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो

Tuesday, October 5, 2010

सूखे फूल

मैंने कब कहा की मुझे ताज़ा फूल चाहिए
मेरे लिए तो मेरे सूखे फूल काफी है
जब मिले ख़ुशी तो तुमको सदा मिले
मेरे लिए तो जीवन के शूल काफी है

कभी लगा नहीं की तुजसे दूर हु में अब
कभी सोचा नहीं तुम से अब मिलूँगा कब
जब आज सोचा तो आँखें ज़रा सी सील गयी
मैंने कब माँगा था समुन्दर, जो नसीब से झील गयी

क्यों कहा नहीं तुम्हे वो सब जो में महसूस करता था
बताया क्यों नहीं कभी की तुम पे कितना मरता था
लगा सदा की तुम ये जानते होगे
मैं तुम्हे खुदा मन, तुम मुझे अपना तो मानते होगे

कभी लगा भी नहीं की तुम्हे  बताना ज़रूरी है
कभी लगा नहीं  की साथ रहना हमारी मजबूरी है
सोचता रहा की मेरा वक़्त आएगा
वो दिन होगा जब आसमान पे सिन्दूर छाएगा

पर लगा ही नहीं की ये तन्हाई का आगाज़ है
मेरा दिन कभी ना आएगा, मेरा दिन तो सिर्फ आज है
ऐसा नहीं की तुम नहीं थे या कुछ और हो गया
बस तुम आये जब मेरे तो शायद मैं तुममे ही खो गया

ऐसा नहीं दिल टूट गया, मुझे तो आज भी प्यार है
तुम्हे भी मुझ पर यकीन ,मुझे भी तेरा ऐतबार है
पर ये दिल कभी है काबू मैं, कभी बेक़रार होता है
भीड़ में ये हँसता  है, तन्हाई में रोता है

तुम्हे मिले वो हर ख़ुशी जो हमने साथ सोची थी
तुम्हारी झोली  में सुकून हो, में तो गम भी पी लूँगा
अगर मुझे तस्सली हो, की तुम हो आज भी सुखी
तो मेरा क्या मैं भी बस जी  लूँगा


वैसे भी ताज़ा फूल मेरे लिए दुशवार है
तुम्हे मुबारक ताज़ा ये फूल, मुझे मेरे सूखे फूलों से प्यार है

Friday, October 1, 2010

आँखें और दिल



एक दिन आँखों ने दिल से एक अजीब सवाल किया
बहुत सोचा पर दिल ने ना कोई जवाब दिया

आँखों ने पूछा की मुझे तो यार को देख कर ख़ुशी मिलती है
उसके चेहरे की हँसी देख कली खिलती है
पर तू तो बहुत ही अन्दर है और ना तेरे पास दृष्टि है
फिर तू क्यों बेचैन नहीं, तुझको कैसे संतुष्टि है

दिल ने सोचा सब कुछ कह दे पर सोचा ये तो आँखें है
कुछ कहा तो ये रो देगी, चुप रहा तो सवाल जारी रहेगा 
सवाल तो मैं सह लूँगा पर आंसू ये जिस्म कैसे सहेगा
वैसे भी ये इन्सान है,इसकी आदत अनजानी है 
जिसको ये अजनबी समझता है वो सदियों से जानी पहचानी है

वैसे भी तो प्यार को शब्दों में बताना नामुमकिन है
ये आँखें इसको क्या समझे, इनके पास कहाँ दिल है 
ये सिर्फ देख कर उसको  अपना कहती है की जो पास है
जानती नहीं की दिल को तो हर वक़्त उसका अहसास है

वो सामने हो तो ये खुश है, वो नहीं तो ये उदास है 
क्या इसको नहीं समझ इतनी की दिल को उसकी आस है 
पर ये इंसान है प्यार समझना इनके बस की बात नहीं
ये क्या जाने की प्यार के लिए कोई उम्र नहi, कोई जात नहीं 

जब ये आँखें प्यार का अहसास पा के भीग जाती है 
क्या सच में पता है इनको की रो कर भी क्यों सुख पाती है
जब जब ये कहती है की इनको प्यार समझ में आया
तब तब दिल हँस पड़ता है, की एक और को मैंने फसाया 
ये प्यार सिर्फ अहसास है उसकी लिए कोई शब्द नहीं 
प्यार में हर सही गलत और लगता है हर एक गलत सही 

ये भी सच है की प्यार आँखों से नहीं दिल से होता है 
तभी तो आँखें सुखी राहतi और दिल अक्सर ही रोता है 
पर सच में रिश्ता आँखों का दील से एक अजब सी बात है 
ये ऐसा है की जैसे आज इन्सान और भगवान की मुलाकात है 

यार नहीं मेरे सामने जब जब आँखें ये कहती है 
दिल हँस पड़ता है जोर से क्यूँकी तू इसी दिल में रहती है
तू पास नहीं पर साथ सदा है क्यूनी दिल का दिल से नाता है 
पर आँखें नहीं समझेंगी इसे ये सोच के दिल चुप रह जता है

इसी लिए दिल ने आँखों का नहीं दिया जवाब 
क्यूंकि आँखें देखती है दुनिया और दिल देख पाता है ख्वाब...