Tuesday, October 12, 2010

आँखों को बस इंतज़ार है

अक्सर मेरे सवाल का जवाब जानता हु मैं
पर फिर भी क्यों ना जाने उनसे पूछता हु मैं

क्या मालूम नहीं मुझको की कितना प्यार मुझसे है 
क्यों फिर से उनसे सुनाने को बेताब रहता हु मैं 

क्यों जब कहे वो तब ही ये बात नयी सी लगती है 
नहीं हो वो करीब तो भी उनकी कमी ना खलती है 

क्यों नहीं मैं भूल पता उसका वो खुमार
क्यों नहीं मान लेता की वो था भरम नहीं था प्यार 

क्यों ये उसका नाम अपने से जोड़ने की प्यास  है 
क्यों ये नाम साथ में लेना ही मिठास है 

क्यों ये लगता की नाम में मेरे है कुछ कमी 
क्यों ये लगता है तू दूर जाके भी मेरी ही रही

क्यों मेरा अधिकार आज भी तुझ पर है बरक़रार 
क्यों नज़र आता है तेरी आँखों में अब भी प्यार 

क्यों नहीं भूल गया वो वक़्त वो तारीख
क्यों तू दूर है नहीं, है आज भी करीब 

क्यों जो तुने कहा वो आज भी सच होता है 
क्यों नहीं ये दिल तेरे बारे में सोच रोता है 

क्यों नहीं में मान पाया तू मेरी नहीं रही 
क्यों भला ये बात अब तक मुझसे नहीं कही 

क्यों ये आज भी मुझको तेरा इंतज़ार है 
क्यों मुझे भी आज तक तुझसे ही इतना प्यार है 

इतने क्यों सुन कर तो अब तो दिल भी मेरा रो दिया 
रोते रोते मुझसे बोला की क्या लगता है उसको खो दिया 

इतने है सवाल क्यूँकी प्यार अब भी है बरक़रार 
क्या वो कभी रोई नहीं करके तेरा यु इंतजार 

आज तेरा वक़्त है, तू इंतज़ार करता रहे 
पर ये याद रखना की लब पे सदा दुआ रहे 

जब खुदा की नज़र में तेरी दुआ चढ़ जाएगी 
रोक ना पायेगा उसे कोई, वो लौट आएगी

अब सवाल कोई ना था, बस दिल ही कुछ बेक़रार है 
दुआ तो सदा चल रही, आँखों को बस इंतज़ार है 

आँखों को बस इंतज़ार है 

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