अक्सर मेरे सवाल का जवाब जानता हु मैं
पर फिर भी क्यों ना जाने उनसे पूछता हु मैं
क्या मालूम नहीं मुझको की कितना प्यार मुझसे है
क्यों फिर से उनसे सुनाने को बेताब रहता हु मैं
क्यों जब कहे वो तब ही ये बात नयी सी लगती है
नहीं हो वो करीब तो भी उनकी कमी ना खलती है
क्यों नहीं मैं भूल पता उसका वो खुमार
क्यों नहीं मान लेता की वो था भरम नहीं था प्यार
क्यों ये उसका नाम अपने से जोड़ने की प्यास है
क्यों ये नाम साथ में लेना ही मिठास है
क्यों ये लगता की नाम में मेरे है कुछ कमी
क्यों ये लगता है तू दूर जाके भी मेरी ही रही
क्यों मेरा अधिकार आज भी तुझ पर है बरक़रार
क्यों नज़र आता है तेरी आँखों में अब भी प्यार
क्यों नहीं भूल गया वो वक़्त वो तारीख
क्यों तू दूर है नहीं, है आज भी करीब
क्यों जो तुने कहा वो आज भी सच होता है
क्यों नहीं ये दिल तेरे बारे में सोच रोता है
क्यों नहीं में मान पाया तू मेरी नहीं रही
क्यों भला ये बात अब तक मुझसे नहीं कही
क्यों ये आज भी मुझको तेरा इंतज़ार है
क्यों मुझे भी आज तक तुझसे ही इतना प्यार है
इतने क्यों सुन कर तो अब तो दिल भी मेरा रो दिया
रोते रोते मुझसे बोला की क्या लगता है उसको खो दिया
इतने है सवाल क्यूँकी प्यार अब भी है बरक़रार
क्या वो कभी रोई नहीं करके तेरा यु इंतजार
आज तेरा वक़्त है, तू इंतज़ार करता रहे
पर ये याद रखना की लब पे सदा दुआ रहे
जब खुदा की नज़र में तेरी दुआ चढ़ जाएगी
रोक ना पायेगा उसे कोई, वो लौट आएगी
अब सवाल कोई ना था, बस दिल ही कुछ बेक़रार है
दुआ तो सदा चल रही, आँखों को बस इंतज़ार है
आँखों को बस इंतज़ार है
No comments:
Post a Comment