Friday, October 1, 2010

आँखें और दिल



एक दिन आँखों ने दिल से एक अजीब सवाल किया
बहुत सोचा पर दिल ने ना कोई जवाब दिया

आँखों ने पूछा की मुझे तो यार को देख कर ख़ुशी मिलती है
उसके चेहरे की हँसी देख कली खिलती है
पर तू तो बहुत ही अन्दर है और ना तेरे पास दृष्टि है
फिर तू क्यों बेचैन नहीं, तुझको कैसे संतुष्टि है

दिल ने सोचा सब कुछ कह दे पर सोचा ये तो आँखें है
कुछ कहा तो ये रो देगी, चुप रहा तो सवाल जारी रहेगा 
सवाल तो मैं सह लूँगा पर आंसू ये जिस्म कैसे सहेगा
वैसे भी ये इन्सान है,इसकी आदत अनजानी है 
जिसको ये अजनबी समझता है वो सदियों से जानी पहचानी है

वैसे भी तो प्यार को शब्दों में बताना नामुमकिन है
ये आँखें इसको क्या समझे, इनके पास कहाँ दिल है 
ये सिर्फ देख कर उसको  अपना कहती है की जो पास है
जानती नहीं की दिल को तो हर वक़्त उसका अहसास है

वो सामने हो तो ये खुश है, वो नहीं तो ये उदास है 
क्या इसको नहीं समझ इतनी की दिल को उसकी आस है 
पर ये इंसान है प्यार समझना इनके बस की बात नहीं
ये क्या जाने की प्यार के लिए कोई उम्र नहi, कोई जात नहीं 

जब ये आँखें प्यार का अहसास पा के भीग जाती है 
क्या सच में पता है इनको की रो कर भी क्यों सुख पाती है
जब जब ये कहती है की इनको प्यार समझ में आया
तब तब दिल हँस पड़ता है, की एक और को मैंने फसाया 
ये प्यार सिर्फ अहसास है उसकी लिए कोई शब्द नहीं 
प्यार में हर सही गलत और लगता है हर एक गलत सही 

ये भी सच है की प्यार आँखों से नहीं दिल से होता है 
तभी तो आँखें सुखी राहतi और दिल अक्सर ही रोता है 
पर सच में रिश्ता आँखों का दील से एक अजब सी बात है 
ये ऐसा है की जैसे आज इन्सान और भगवान की मुलाकात है 

यार नहीं मेरे सामने जब जब आँखें ये कहती है 
दिल हँस पड़ता है जोर से क्यूँकी तू इसी दिल में रहती है
तू पास नहीं पर साथ सदा है क्यूनी दिल का दिल से नाता है 
पर आँखें नहीं समझेंगी इसे ये सोच के दिल चुप रह जता है

इसी लिए दिल ने आँखों का नहीं दिया जवाब 
क्यूंकि आँखें देखती है दुनिया और दिल देख पाता है ख्वाब...

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