फिर तेरी याद आ गयी, ये रात फिर गहरा गयी
कुछ दिन गुज़र गए युही, कुछ शामे फिर तनहा गयी
फिर तेरी याद आ गयी, ये रात फिर गहरा गयी
कुछ कम सी थी कसक मुझे, कुछ होश भी था आ गया
कब तू गया, कब दिल जला, कब आलम-इ-बेबसी छा गया
मुझको तो ये खबर नहीं, क्यों मेरा घर तबाह हुआ
पता नहीं ये कब हुआ, पता नहीं ये क्या हुआ
दिल को तो कुछ सुकून है, दिल को तो अब करार है
मेरा हुआ जो भी हुआ, घर तेरा बरक़रार है
बस एक गुज़ारिश है ये, मुझे देख कभी तो रुक जाना
आओगे तुम ज़रूर फिर, ना चाहो तो भी आ जाना
तुमसे जुडी है बात सब, कैसे कटेगी रात अब
चले गए हो तुम ये मैं हु जानता,
पर दिल का मैं अब क्या करू क्यों ये दिल नहीं मानता
ये कहता है की तुम करीब हो, इसका तो तुम नसीब हो
तुम जा नहीं सकते अभी, शायद ना जा सको कभी
पर इसको कौन बताएगा, तू लौट फिर से आएगा
दिल दर्द मैं है अब तलक, पड़ेगा इसको समझाना
ज़रूरी है आने को वापिस, कम से कम एक बार जाना
तुम वैसे भी कहाँ गए, ना दूर मुझसे आज हो
सोचेगा दूरी वही, जो दुनिया का मोहताज हो
मैंने जब भी चाहा तभी, बड़ा के हाथ छु लिया
शायद नहीं तू करीब मेरे, पर रूह ने तो महसूस किया
मगर ये दिल सुनता नहीं, कहता रहा ये बस ये ही
फिर तेरी याद आ गयी, ये रात फिर गहरा गयी
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