मुझसे रही वो दूर जो कुछ दिन
उसने झूठा हँसना सीख लिया
अब सबका बस दिल रखने को मर के जीना सीख लिया
मेरे संग वो जब हँसती थी
खनक वो रूह से आती थी
अब हँसती उनके संग वो
गले से हँसना सीख लिया
हँसते रहना दुनिया के संग
ये दस्तूर अनोखा है
सच में खुद से और दुनिया से आखिर तो ये धोका है
अक्सर खुल के हँसने वाले
छुप छुप के ही रोते है
आँखें सुर्ख होती है रो के
हस के गाल सुर्ख होते है
अगर खुदा है जो इस जहाँ में
तेरी खनक को वापिस लायेगा
एक दिन होगा फिर से उजाला
फिर से गम मुस्काएगा
एक दिन फिर से संग होंगे हम
फिर से हँसी ये गूंजेगी
आज जो गम है दिल में अपने
कल उसको दुनिया दूंदेगी
इतना सा बस तुम कर देना
दिल को अपने दुआ से भर लेना
जल्दी से वो दिन आएगा
हंसी निकलेगी रूह से फिर से
खुदा संग अपने मुस्काएगा
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