Saturday, October 30, 2010

झूठ कहा था तुमने मुझसे

झूठ कहा था तुमने मुझसे, मेरे बिना तुम खुश हो रहते 
क्यों हँसते हो इतना ज्यादा, क्यों अब ये आंसू ना बहते 

अगर में समझा तुम्हे कभी भी 
ख़ुशी में तुम रो देते थे 
इतना कडा था सब्र तुम्हारा 
हर गम पर हँस देते थे 

आज हँसी ये बड़ी अलग है 
इसमें ख़ुशी और प्यार नहीं 
कहते  है सब तुम तो खुश हो 
फिर मुझको क्यों ऐतबार नहीं 

मुझे पता है दिल में क्या है 
तुम कभी भी मुहं ना खोलोगे 
गम को सहोगे, कुछ ना कहोगे
तन्हाई में रो लोगे 

इतना सा बस सच है समझा, मैंने तेरे संग रहके 
अपनी ख़ुशी का मोल नहीं है, बाँटो ख़ुशी खुद गम सहके 

मुझसे तो कह दो ये सच तुम, क्यों मुझसे भी नहीं कहते 
झूठ कहा था तुमने मुझसे, मेरे बिना तुम खुश हो रहते 

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