कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
तुम गीत हो संगीत हो, जीवन के तुम ही मीत हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
तुम ज्ञान हो वरदान हो, जीवन का तुम अभिमान हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
तुमसे जुड़ा तुमसे बंधा जीवन का हर पर्याय है
तुम से शुरू तुम पर खत्म जीवन का हर अध्याये है
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
तुम कंठ हो, तुम वाणी हो, तुम आदि हो तुम अंत हो
जीवन सदा रहा सूना, जीवन में तुम बसंत हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
तुम मंदिर का शंख हो, तुम मस्जिद की अजान हो
तुम हो पारी जीवन में मेरे, भगवान का अहसान हो
तुम से जुड़ा हर सपना मेरा, तुम मेरी सुख की सांस हो
मैं सोचता रहा सदा की तुम ही प्रेम पे मेरा विश्वास हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
सब है भरम जीवन में बस एक तुम ही अखंड हो
मै हु बस एक हिम शिखर, तुम ही मेरा हिम खंड हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
तुमसे जुडी तुमसे लगी जीवन की हर एक आस है
तुम ना मिलो जब तक तब तक जीवन में प्यास है
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
तुम राग हो आलाप हो, मृदुंग की तुम थाप हो
मैं सोचता था की मुझे में मैं हु पर मुझे मैं तो बस आप हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
जब जब कहा तुमने मुझे की तुमको कितना प्रेम है
मैंने सुना चुप चाप पर आज तू क्यों मौन है
क्या सच में है ऐसा हुआ की तू समझ गया है आज
क्युकी में कभी ना कह सका मेरे लिए तुम कौन हो
शायद ये ऐसी बात है जिसमे ना कोई विकार है
शायद से सिर्फ विचार है जिसका ना कोई आकर है
शायद ये सिर्फ एक भाव है जिसने मुझे बाँध रखा है
शायद ये है कोई बंधन जो आज फिर तुम मौन हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
कैसे बताऊ मैं तुम्हे, मेरे लिए तुम कौन हो
No comments:
Post a Comment