Monday, May 30, 2011

ज़िन्दगी हसीन है, तू मेरे करीब है
हाथ थाम चल पड़ा, चलना ही नसीब है

ज़िन्दगी की धुप में, साया तेरा अज़ीम है
सक्त है दुनिया सभी,तू बड़ा ज़हीन है
सब तरफ जो देखू में, सबसे तू करीब है
हाथ थाम चल पड़ा, चलना ही नसीब है

चलना ही है ज़िन्दगी, रुकना तो गुनाह है
तुझको फ़िक्र सबकी है, तेरी किसे परवाह है
हाथ पकड़ कोई रोकता है, हम भी खुशनसीब है
हाथ थाम चल पड़ा, चलना ही नसीब है

ज़िन्दगी की रेत ने जब, पांव ही जला दिए
आंधियां चली की मेरे सब निशा मिटा दिए
तू तब भी साथ था मेरा, तू खुदा मेरा रहीम है
हाथ थाम चल पड़ा, चलना ही नसीब है

बातें तेरी करेले सी, जिनमे भरी मिठास है
तुम चाहते हो भला मेरा, न खुदगर्जी की आस है
पर्दा हो मेरे गुनाह का, तू ज़िन्दगी का हकीम है
हाथ थाम चल पड़ा, चलना ही नसीब है 

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