क्यों आज बेवजह कोई हमसे नहीं मिलता
क्यों आज मेरे गुलदानो में सावन नहीं खिलता क्यों आज ये बारिश मेरी छत पर नहीं होती
क्यों अब वो मेरे हाथों पर अपनी किस्मत नहीं बोती
कभी तो वो करे ऐसा ही मैं हैरान हो जाऊ
कभी तो वो फैला दे अपना आँचल और मैं सो जाऊ
कभी तो वो अपनी हथेली से धुप मेरी रोके
कभी तो न जाये वो कभी, रह जाये मेरी होके
क्यों अब फिजा यु सर्द है और कोई फूल नहीं खिलता
क्यों आज बेवजह कोई हमसे नहीं मिलता
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