Monday, December 27, 2010

दुनिया है, सब जहान है पर अब वो बात नहीं है .....

रोता में अब भी हूँ पर आंसू पोछने को तेरा हाथ नहीं है 
दुनिया है, सब जहाँ है पर अब वो बात नहीं है 

क्यों में ही सोचता हु, रोता हु रात दिन 
प्यार दोनों ने किया था क्या अब वो जज्बात नहीं है 
दुनिया है, सब जहाँ है पर अब वो बात नहीं है 

तु खुश रहे, मसरूफ रहे अपने ही जहान में 
पर कभी मेरा हाल ले, क्या ये हालत नहीं है 
दुनिया है, सब जहान है पर अब वो बात नहीं है 

बारिश तुझे पसंद है, सोचा मिलेगी तब मुझे 
इस बरस तो अकाल है, बरसात नहीं है 
दुनिया है, सब जहान है पर अब वो बात नहीं है 

1 comment:

  1. आज फ़िर किया इक सौदा मैंने
    कुछ ख़रीदा और कुछ बेचा मैंने
    वो हस्ते हैं मुझ पर
    की फ़िर दिल लुटा कर आए हो
    मैं हस्ता हूँ की फ़िर कोई तमाशा है बनाया मैंने
    कुछ रेत के महल, कुछ सपनो के समंदर
    कुछ मीठे से वो ख्वाब, कुछ मुस्कुराहतो की महफिल
    एक एक पल करके बनाई थी जागीर अपनी
    की जिसे बेच कर कुछ हसीं लम्हे ख़रीदे मैंने
    कुछ यादें, कुछ रिश्ते, इक अजनबी
    ये वो तोहफे है जो मुफ्त हैं पाये मैंने
    वो नादान है जो हस्ते हैं
    की कुछ नही सोचा मैंने
    अब किसको क्या बताये
    की क्या है बेचा और क्या है ख़रीदा मैंने

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