इस दिल की कसोटी पे, परखे है कई रिश्ते
कुछ निकले खरा सोना, कुछ सिर्फ जन्म से थे
कुछ सिखा गए जीना, कुछ कोरे भरम से थे
कुछ रिश्ते थे ऐसे मिल गए जो विरासत में
कुछ खुद से बुने मैंने, मखमल से नरम से थे
कुछ सिखा गए जीना, कुछ कोरे भरम से थे
हर रिश्ते का क्यों कर अंजाम दुखी है बस
क्यों सूख गए वो फल, ममता का था जिनमे रस
लगता है ना था वो रिश्ता, बस सारे वहम से थे
कुछ सिखा गए जीना, कुछ कोरे भरम से थे
एक अपना रिश्ता है, दुनिया से निराला है
कुछ नाम नहीं शायद, बस प्रेम से पाला है
बस रिश्ते इस जैसे दुनिया में अहम् से थे
कुछ सिखा गए जीना, कुछ कोरे भरम से थे
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