कैसा अजीब सा रिश्ता है, कैसे तुम्हे पहचान लिया
तुम कहते कुछ मुझको उस से पहले तुम्हे अपना मान लिया
जितना सोचा, जितना चाहा तुमने ज्यादा उस से प्यार दिया
कभी भी कुछ भी कह ले सुन ले, ये मुझको अधिकार दिया
रोने तुम्हे दूंगा नहीं मैं, ये मैंने भी ठान लिया
बोलो तुम या कभी ना बोलो तुमको मैंने अपना मान लिया
मैंने अपना मान लिया.....
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