Thursday, December 9, 2010

यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता....

यूँ  ही कोई बेवफ़ा नहीं होता, कुछ तो वजह रही होगी
या तुमने कुछ सोचा होगा, या मैंने ही कुछ बात कही होगी

मैं था, तुम थे कुछ सपने थे, जीवन में एक सहारा था
तुमको तो शायद और भी थे, मुझको बस साथ तुम्हारा था
शायद ये मेरी गलती थी, तुमने तकलीफ सही होगी
यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता, कुछ तो वजह रही होगी

मुझको तो याद नहीं आता, दिल मैंने तेरे तोडा हो
कितना कुछ हुआ हमारे संग पर मैंने साथ ये छोड़ा हो
मैंने माना हम रहे सुखी, क्या मन में तेरे ये बात नहीं होगी
यूँ  ही कोई बेवफ़ा नहीं होता, कुछ तो वजह रही होगी

मैं क्यों मानु की तुने किया, जबकि सब मेरा कसूर है
कल मेरी वजह से थी तू दुखी, आज उनकी वजह से मजबूर है
तु आज भी अपने दिल की सुन, दिल की ही बात सही होगी
यूँ  ही कोई बेवफ़ा नहीं होता, कुछ तो वजह रही होगी

तु खुश है अब कैसे मानु, जबकि आँखें तो नम सी है
वो दिन थे तू चुप ना रहती थी, अब बातें भी कुछ कम सी है
जिस जगह पे में हु, तुम हो अपनी तो ख़ुशी वही होगी
यूँ  ही कोई बेवफ़ा नहीं होता, कुछ तो वजह रही होगी

यूँ  ही कोई बेवफ़ा नहीं होता, कुछ तो वजह रही होगी.....

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