Saturday, December 4, 2010

पर बताता कैसे ......

इतना करता हूँ तुझे प्यार पर बताता कैसे
कहनी थी तुजसे वो एक बात पर सुनाता कैसे
इतना करता हूँ तुझे  प्यार, पर बताता कैसे

जब भी तुम आये, मिले मुझसे तो दिल नाच उठा
तेरे जाने का हुआ वक़्त तो गम छुपाता कैसे
इतना करता हूँ तुझे  प्यार, पर बताता कैसे

यु तो रखा नहीं कोई राज़ कभी भी हमने
पर नहीं हूँ  मैं तेरे बिन, ये राज़ बताता कैसे
इतना करता हूँ तुझे  प्यार, पर बताता कैसे

हुआ कई बार की खुदा ने भी तेरे बारे में पूछा मुझसे
पर मैं खुद को उसके सवालों में समाता कैसे
इतना करता हूँ तुझे  प्यार, पर बताता कैसे

कोई बंदिश तो नहीं है मेरे कुछ कहने पर
पर इस प्यार के दामन को उठाता कैसे
इतना करता हूँ तुझे  प्यार, पर बताता कैसे

मेरा ये प्यार जो भी है सिर्फ प्यार ही तो है
तूने समझा इसे ज़ंजीर, मैं समझाता कैसे
इतना करता हूँ तुझे  प्यार, पर बताता कैसे

1 comment:

  1. जब भी तुम आये, मिले मुझसे तो दिल नाच उठा
    तेरे जाने का हुआ वक़्त तो गम छुपाता कैसे
    इतना करता हूँ तुझे प्यार, पर बताता कैसे
    जज्बातों को बेहतरीन ‘शब्दों में पिरोया है आपने। धन्यवाद।

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