Wednesday, December 22, 2010

तेरी आँखें याद आती है.....

गाहे-बगाहे अक्सर अचानक तेरी बातें याद आती है
जब जब में देखू खुदको आईने में तेरी आँखें याद आती है
भीड़ में हूँ या हूँ तनहा अकेला, ढूँढ लेती थी मुझको तु सदा
अब अकेला महसूस करता हु, जब संग भीगे थे वो barsaate याद आती है
गाहे-बगाहे अक्सर अचानक तेरी बातें याद आती है
जब जब में देखू खुदको आईने में तेरी आँखें याद आती है

तु कहती रही चली जाएगी एक दिन, मैं कहता रहा कहाँ जाएगी मेरे बिन
अब तेरी कही हुई, बताई हुई सब बातें याद आती है
जब जब में देखू खुदको आईने में तेरी आँखें याद आती है

हम लड़ते रहे, फिर से मिलते रहे, संग संग ही रहे, जुदा जुदा भी रहे
यादें आज की सी है, तु हँसते-रोते, पीते-खाते याद आती है
गाहे-बगाहे अक्सर अचानक तेरी बातें याद आती है
जब जब में देखू खुदको आईने में तेरी आँखें याद आती है

कितना अज़ीम वक़्त था वो, कितना हसीन मुकाम था
थामे रखना बस हाथ तेरे, मोहब्बत का यही नाम था
देखता हु आज अपने हाथ तनहा, वो मुलाकाते याद आती है
गाहे-बगाहे अक्सर अचानक तेरी बातें याद आती है
जब जब में देखू खुदको आईने में तेरी आँखें याद आती है

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