Tuesday, March 1, 2011

हाथ खाली सा लग रहा है, दिल भारी सा लग रहा है .......

हाथ खाली सा लग रहा है, दिल भारी सा लग रहा है 
आदत थी रखने की तेरा हाथ हाथों में
अब तो तू दूर है इतना की तुझे देखना भी खयाली सा लग रहा है

मैं तेरे साथ था हर पल, कभी न तुम अकेले थे
और आज तुम गए वहां जहाँ दुनिया के मेले थे
है आज मुझको ज़रूरत तेरी तो  तू सवाली सा लग रहा है
हाथ खाली सा लग रहा है, दिल भारी सा लग रहा है

तू मेरा दोस्त था, हमदम था मेरा तो नसीब था
हर शक्स लगता था गैर, तू इतना करीब था
क्यों आज तेरा अहसास टूटी हुई प्याली सा लग रहा है
हाथ खाली सा लग रहा है, दिल भारी सा लग रहा है

तू गया है जब से यार मेरी दुनिया अँधेरी है
चराग बुझ से रहे है, बस पल दो पल की देरी है
तेरा शहर अजीब है यहाँ लगता है दिवाली है
मेरा चमन वीरान है, तेरी बस्ती में हरियाली है
हाथ खाली सा लग रहा है, दिल भारी सा लग रहा है 

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