बहने तो भगवान का साया है, किस्मत से मैंने इन्हें पाया है
है सब के ही बिलकुल स्वभाव अलग, सबने मुझे स्नेह से अपनाया है
मेरे हर सुख में संग हसी, मेरे दुःख में ये रोती है
मैं संग रहू या न भी रहू, ये संग सदा मेरे होती है
जब तक है ये मैं तनहा नहीं, जीवन में ये भरोसा पाया है
मेरे लिए तो प्रसाद है ये,बहने तो भगवान का साया है
मैं कितना लड़ा क्या नहीं कहा, पर फिर भी मेरे संग रही
हुई कितनी भी बरसात बहार, मुझ पर इनकी बस छावों रही
है सब के ही बिलकुल स्वभाव अलग, सबने मुझे स्नेह से अपनाया है
मेरे हर सुख में संग हसी, मेरे दुःख में ये रोती है
मैं संग रहू या न भी रहू, ये संग सदा मेरे होती है
जब तक है ये मैं तनहा नहीं, जीवन में ये भरोसा पाया है
मेरे लिए तो प्रसाद है ये,बहने तो भगवान का साया है
मैं कितना लड़ा क्या नहीं कहा, पर फिर भी मेरे संग रही
हुई कितनी भी बरसात बहार, मुझ पर इनकी बस छावों रही
मेरी हर गलती को भूली, हर बार मुझे समझाया है
मेरे लिए तो प्रसाद है ये,बहने तो भगवान का साया है
बिन जाने मेरा दोष है क्या, बिन जाने कुछ आगा पीछा
क्या किया है मेरे भाई ने, तुमने ये ज़माने से पूछा
मेरी गलती होने पर भी, मुझको आँचल में छुपाया है
मेरे लिए तो प्रसाद है ये,बहने तो भगवान का साया है
तुम माँ भी हो तुम बेटी भी, तुम धर्म भी हो तुम नीति भी
तुम प्रेम भी हो आलाप भी हो, तुम शीतल हो तुम ताप भी हो
तुम शांत भी हो तुम चिरोरी भी, ताकुँत हो मेरी कमजोरी भी
मेरी किस्मत ही अलग सी कुछ, जो मैंने तुमको पाया है
मेरे लिए तो प्रसाद है ये,बहने तो भगवान का साया है
जब तक में हूँ तुम रहना सदा, मेरे सुख-दुःख संग सहना सदा
मेरे लिए तो प्रसाद है ये,बहने तो भगवान का साया है
बिन जाने मेरा दोष है क्या, बिन जाने कुछ आगा पीछा
क्या किया है मेरे भाई ने, तुमने ये ज़माने से पूछा
मेरी गलती होने पर भी, मुझको आँचल में छुपाया है
मेरे लिए तो प्रसाद है ये,बहने तो भगवान का साया है
तुम माँ भी हो तुम बेटी भी, तुम धर्म भी हो तुम नीति भी
तुम प्रेम भी हो आलाप भी हो, तुम शीतल हो तुम ताप भी हो
तुम शांत भी हो तुम चिरोरी भी, ताकुँत हो मेरी कमजोरी भी
मेरी किस्मत ही अलग सी कुछ, जो मैंने तुमको पाया है
मेरे लिए तो प्रसाद है ये,बहने तो भगवान का साया है
जब तक में हूँ तुम रहना सदा, मेरे सुख-दुःख संग सहना सदा
तुम गयी तो अकेला रह जाऊंगा, क्या करूँगा कुछ ना कर पाउँगा
मेरी गलती भूलेगा कौन, कौन कहेगा तू है बिलकुल सही
कैसे रह पाउँगा में फिर, जो तू मेरे ना संग रही
दुनिया है तेरे बिन कहीं, सब बेकार है सब मोह माया है
मेरे लिए तो प्रसाद है ये,बहने तो भगवान का साया है
मेरी गलती भूलेगा कौन, कौन कहेगा तू है बिलकुल सही
कैसे रह पाउँगा में फिर, जो तू मेरे ना संग रही
दुनिया है तेरे बिन कहीं, सब बेकार है सब मोह माया है
मेरे लिए तो प्रसाद है ये,बहने तो भगवान का साया है
No comments:
Post a Comment