My Dreams Unlimited
Saturday, May 4, 2013
कभी मैं नहीं रुक कभी वो चले गए
शायद अकेले रहन ही मेरा नसीब था
कभी मैं नहीं रुक कभी वो चले गए
तन्हाई की उस रात का आलम ही और था
कभी दिल छलक उठा कभी आंसू टपक गए
हर बार इस तरह से कुछ खेल सा हुआ
कभी मात हुई अपनी और कभी हम ही मर गए
कभी मैं नहीं रुक कभी वो चले गए
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