Monday, February 28, 2011

तू अगर फूल होती तो भूल जाता तुझे
तू तो खुशबु है मोहब्बत की, तुझे भुलाऊ कैसे
बसी होती अगर तू सिर्फ दिल में तो मिटा देता तुझे
तू बहती है लहू के साथ मेरी रगों में मेरे, तुझे हटाऊ कैसे

तेरी गोदी में रख के सर मिला सुकून भर जहाँ का
सारी फिकर हवा हुई, हाल तुने समझ लिया दिल-इ- बेजुबान का
पर अब पत्थर हो गयी है आँखें तेरे इंतजार में
ना नींद है ना कुछ सुकून, खुद को सुलाऊ कैसे 

तू अगर फूल होती तो भूल जाता तुझे
तू तो खुशबु है मोहब्बत की, तुझे भुलाऊ कैसे


तेरी हथेली पे लिखना वो अक्सर नाम मेरा
मेरे नसीब पे पूरा वो इख्तियार तेरा
चली गयी तू पर नाम अब भी लिखता हु
नहीं लिखना है अब ये और, दिल को बताऊ कैसे

तू अगर फूल होती तो भूल जाता तुझे
तू तो खुशबु है मोहब्बत की, तुझे भुलाऊ कैसे



वो बात बात पे लड़ना, रूठ जाना तेरा
वो मनाने के लिए ही तुझे मानना मेरा
वो तेरा झूट मूठ में चले ही जाना अक्सर
वो मेरा कहना की चले गए तो लौट आये क्यों कर
पता ना था की चले जाओगे रूठ एक दिन
तेरे आने की थी आदत, तुझे बुलाऊ कैसे

तू अगर फूल होती तो भूल जाता तुझे
तू तो खुशबु है मोहब्बत की, तुझे भुलाऊ कैसे

No comments:

Post a Comment