तेरे जाने ने मेरी सर्द आँखों को नम कर दिया
दिया गम मुझको ये ऐसा ही हर गम को छोटा कर दिया
तु जब तलक थी ना ही कद्र थी ना वक़्त था मेरे पास
आज तेरी कद्र है, वक़्त भी है मगर तु नहीं मेरे पास
कभी हुआ तो ज़रूर होगा की मैंने तेरी खबर ना ली
तभी तो आज तुझे मेरी फ़िक्र नहीं,तु अपने घर में ही बस भली
मुझे तो लगता है की कुछ कसूर मेरे किये में था
मगर ये बेरुखी तुने क्यों की, क्या सिर्फ तब तलक तेरा वास्ता मुझसे था
तेरी मसरूफी से मुझे aaj भी कोई गिला नहीं
मगर में क्या करू, तुझ सा कोई मुझको मिला नहीं
दिया गम मुझको ये ऐसा ही हर गम को छोटा कर दिया
तु जब तलक थी ना ही कद्र थी ना वक़्त था मेरे पास
आज तेरी कद्र है, वक़्त भी है मगर तु नहीं मेरे पास
कभी हुआ तो ज़रूर होगा की मैंने तेरी खबर ना ली
तभी तो आज तुझे मेरी फ़िक्र नहीं,तु अपने घर में ही बस भली
मुझे तो लगता है की कुछ कसूर मेरे किये में था
मगर ये बेरुखी तुने क्यों की, क्या सिर्फ तब तलक तेरा वास्ता मुझसे था
तेरी मसरूफी से मुझे aaj भी कोई गिला नहीं
मगर में क्या करू, तुझ सा कोई मुझको मिला नहीं
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