हर घडी हर पल तेरी हर बात याद आती है
होती है शुरू मुस्कान से, आखिर में पलके भीग जाती है
मैं हर बार हस्त हु और आंसू पोंछ लेता हूँ
और फिर हर बार की तरह मैं तेरी राह तकता हूँ
लड़ाई पहले भी की थी, अजी अब भी लड़ाई है
तू पहले बोल पड़ती थी, तो अब फिर क्यों जुदाई है
मैं राज़ी हु मान जाने को, मनाने को बिलखता हूँ
और फिर हर बार की तरह मैं तेरी राह तकता हूँ
क्या तुझको याद है वो दिन जो अब जा कर नहीं आते
कभी तो याद कर वो धुन जो हम खुल कर नहीं गाते
मैं तेरे साथ चुप चुप कर वो धुन सुन कर बहकता हूँ
और फिर हर बार की तरह मैं तेरी राह तकता हूँ
कभी तुझको लगा होगा की अब ये आग फ़ना हुई
हुई मेरी ग़ज़ल पूरी, गाएगी तू नयी धुन कोई
मगर तू देख नज़र भर कर, मैं तो अब भी सुलगता हूँ
और फिर हर बार की तरह मैं तेरी राह तकता हूँ
और फिर हर बार की तरह मैं तेरी राह तकता हूँ .....................
होती है शुरू मुस्कान से, आखिर में पलके भीग जाती है
मैं हर बार हस्त हु और आंसू पोंछ लेता हूँ
और फिर हर बार की तरह मैं तेरी राह तकता हूँ
लड़ाई पहले भी की थी, अजी अब भी लड़ाई है
तू पहले बोल पड़ती थी, तो अब फिर क्यों जुदाई है
मैं राज़ी हु मान जाने को, मनाने को बिलखता हूँ
और फिर हर बार की तरह मैं तेरी राह तकता हूँ
क्या तुझको याद है वो दिन जो अब जा कर नहीं आते
कभी तो याद कर वो धुन जो हम खुल कर नहीं गाते
मैं तेरे साथ चुप चुप कर वो धुन सुन कर बहकता हूँ
और फिर हर बार की तरह मैं तेरी राह तकता हूँ
कभी तुझको लगा होगा की अब ये आग फ़ना हुई
हुई मेरी ग़ज़ल पूरी, गाएगी तू नयी धुन कोई
मगर तू देख नज़र भर कर, मैं तो अब भी सुलगता हूँ
और फिर हर बार की तरह मैं तेरी राह तकता हूँ
और फिर हर बार की तरह मैं तेरी राह तकता हूँ .....................
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