किसी को सको न दे सको दुआ तुम मगर
किसी को बददुआ देकर उधार मत करना
दिल मैं तुम्हारे कुछ भी हो, कैसा भी हो
आँखों से कभी इज़हार मत करना
हाथों में रेत रखना या दिल में अरमान रखना
किसी भी सूरत इ हालत मैं ऐतबार मत रखना
गर न मने दिल और करो किसी पे तुम यकीन
किसी भी सुरात इ हालत मैं ये व्यापार मत करना
बड़े मौके मिलेंगे नाम करने के, मिटने के
तुम अपने नाम पर ये इश्क का इश्तिहार मत करना
मुझे है ये पता की इश्क तुमको अब भी है मुझसे
मगर इस बात का तुम मुझसे भी इज़हार मत करना
शहर है ये नमक वालो का, इनको क्या पड़ी दिल की
अगर लग जाये खंज़र भी तो मरहम यार मत करना
है इनके मरहमो मैं भी नमक खुदगर्जी का ऐ दोस्त
किसी भी अजनबी का अपने घर मैं इस्तकबाल मत करना
मेरा घर अब भी तेरा है, मैं अब भी एक मुसाफिर हूँ
मैं जब भी लौट कर आऊ, मुझे तुम प्यार मत करना
ज़माने की नज़र तुम पर है और शायद है मुझपर भी
नज़र नजरो से मिला कर तुम आंकें चार मत करना
दिल मैं तुम्हारे कुछ भी हो, कैसा भी हो
आँखों से कभी इज़हार मत करना
किसी को बददुआ देकर उधार मत करना
दिल मैं तुम्हारे कुछ भी हो, कैसा भी हो
आँखों से कभी इज़हार मत करना
हाथों में रेत रखना या दिल में अरमान रखना
किसी भी सूरत इ हालत मैं ऐतबार मत रखना
गर न मने दिल और करो किसी पे तुम यकीन
किसी भी सुरात इ हालत मैं ये व्यापार मत करना
बड़े मौके मिलेंगे नाम करने के, मिटने के
तुम अपने नाम पर ये इश्क का इश्तिहार मत करना
मुझे है ये पता की इश्क तुमको अब भी है मुझसे
मगर इस बात का तुम मुझसे भी इज़हार मत करना
शहर है ये नमक वालो का, इनको क्या पड़ी दिल की
अगर लग जाये खंज़र भी तो मरहम यार मत करना
है इनके मरहमो मैं भी नमक खुदगर्जी का ऐ दोस्त
किसी भी अजनबी का अपने घर मैं इस्तकबाल मत करना
मेरा घर अब भी तेरा है, मैं अब भी एक मुसाफिर हूँ
मैं जब भी लौट कर आऊ, मुझे तुम प्यार मत करना
ज़माने की नज़र तुम पर है और शायद है मुझपर भी
नज़र नजरो से मिला कर तुम आंकें चार मत करना
दिल मैं तुम्हारे कुछ भी हो, कैसा भी हो
आँखों से कभी इज़हार मत करना
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