तेरा इंतज़ार भी एक काम है
शायद ज़िन्दगी में ये भी कोई मुकाम है
अब तक जो तुने किया वो समझा की तेरा फ़र्ज़ था
शायद मेरा ही पुराना किसी जन्म का क़र्ज़ था
कभी सोचा नहीं की तुझे इंतजार करना भी ठीक नहीं
पर जब तक खुद पर ना हो जीवें में कोई सीख नहीं
कल तुम इंतज़ार करते थे आज में इंतज़ार करता हु
कही मैं करता रहू इंतज़ार और तुम ना आओ इसी बात से डरता हु
पर शायद इस विश्वास का ही प्यार नाम है
शायद ज़िन्दगी में ये भी कोई मुकाम है
कभी आप कहते थे की मत करो मुझसे लड़ाई–फसाद
एक रोज़ चली जाउंगी तो करते रहना याद
मैं ये सुन कर हँसता था की आप कहाँ जाओगे
रिश्ता है हमारा ऐसा की लौट की वापिस आओगे
लगता है की दुआ आपकी खुदा ने आप को अता की
मेरा नहीं आप पर हक ये बात भी मुझे जता दी
शायद आप आज उतने करीब नहीं और हाथ मैं गम का जाम है
शायद ज़िन्दगी में ये भी कोई मुकाम है
कभी सोचा ना था की में आपको याद करूँगा
आपके भी ना जी पाउँगा ना ही मरूँगा
पर कहते है की स्वर्ग नरक यही है
अब लगता है की ये बात भी सही है
खुदा जो ले रहा है वो आप ही का इंतकाम है
शायद ज़िन्दगी में ये भी कोई मुकाम है
सच है की रिश्ता हमारा था एक दम सच्चा
तभी ना में तुम्हारा बुरा मांग सकता हु ना ही अच्छा
मेरा दिल कहता है आप आओगे पर आपके क्या खयाला है
क्या आपका भी मुझ जैसा हाल है
अगर सच में ऐसा है तो क्यों ये रिश्ता अब तक अनाम है
सच में शायद ज़िन्दगी में ये भी कोई मुकाम है
सोचने की बात है की क्या हम इतने मजबूर है
क्या सच में ये हमारा ही कसूर है
क्या सोचा सब का यही हमारी भूल है
अब क्या दुखी रहना जीवन का उसूल है
अगर है भी तो में इसको नहीं मानता
कोई कुछ भी कहे में उसको नहीं जानता
मैं वो करूँगा जो मेरे लिए अच्छा है
अमल करूँगा उसपर तो दिल के लिए सच्चा है
दिल अब खुला है, अब ना कोई लगाम है
शायद ज़िन्दगी में ये भी कोई मुकाम है
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